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ग्वालियर का हेरिटेज ट्रेन का सपना टूटा… हमारे नैरोगेज के इंजन भुवनेश्वर, रेवाड़ी, बेंगलुरु व चितरंजन स्टेशन की बढ़ाएंगे शोभा

नैरोगेज के यह इंजन इन शहरों के स्टेशन की शान बढ़ाकर शो- पीस बनकर स्टेशन के बाहर रखे जाएंगे। इसमें से दो इंजन नये और दो पुराने जाएंगे। कोरोना के बाद जब नैरोगेज को बंद किया गया था। तक नैरोगेज सेक्शन में 13 नये पुराने इंजन थे।

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ग्वालियर .नैरोगेज के यह इंजन इन शहरों के स्टेशन की शान बढ़ाकर शो- पीस बनकर स्टेशन के बाहर रखे जाएंगे। इसमें से दो इंजन नये और दो पुराने जाएंगे। कोरोना के बाद जब नैरोगेज को बंद किया गया था। तक नैरोगेज सेक्शन में 13 नये पुराने इंजन थे। इनमें से 4 इंजन पहले ही बाहर भेजे जा चुके है। जिसमें दो इंजन मॉडर्न कोच फैक्ट्री रायबरेली, एक इंजन को जबलपुर मंडल भेजा गया है। वहीं एक इंजन काफी समय पहले ही कंडम हो चुका है। यहां पर अब 9 इंजन बचे हुए है।

एनसीआर की धरोहर को दूसरे जोन में भेजा जा रहा

नैरोगेज के इंजन एनसीआर की धरोहर हैं, लेकिन मजे की बात यह है रेलवे के अफसर इन इंजनों को एनसीआर में एक भी इंजन को नहीं भेज रहे। यह सभी इंजन दूसरे मंडलों की शान बढ़ाएंगे, जबकि एनसीआर में इलाहाबाद, झांसी और आगरा मंडल आते हैं। इसमें छोटे- बड़े लगभग सौ से ज्यादा स्टेशन आते हैं। उसके बावजूद भी इन स्टेशनों को छोड़कर दूसरे जोनो को इंजन भेजे जा रहे हैं।

नये इंजन होंगे कंडम

रेलवे के नैरोगेज के इंजन की लाइफ 36 साल होती है। इसमें से यहां पर अभी तीन इंजन 2015 में आए थे। इसके हिसाब से इन तीनों ही इंजन की लाइफ 9 साल हुई है। लोको शेड में तीन इंजन 812, 813 और 814 नंबर के खड़े हुए है। इसके बावजूद भी नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

सिंधिया के प्रयास भी नहीं रोक पाए

नैरोगेज इंजनों को बाहर भेजने की खबर के बाद कुछ समय पहले ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया ने रेल मंत्री से कहकर इन इंजनों को बाहर जाने से रोका था। इसके पीछे उद्देश्य था कि ग्वालियर से बानमोर तक हेरिटेज ट्रेन चल सकती है। लेकिन अब धीरे- धीरे इंजन दूसरे शहरों में भेजे जाने की तैयारी चल रही है। जिससे यहां पर नैरोगेज का नामो निशानों खत्म हो जाएगा।