
यहां 16 श्रृंगार कर होली में पूरे गांव की परिक्रमा करती हैं महिलाएं, पुरुष गाते हैं गीत
ग्वालियर। भारत देश में होली का त्योहार आपसी प्रेम व भाई चारे का त्योहार है। इस संदेश का प्रदेश के चंबल संभाग के ग्रामीण वर्षों से निर्वहन कर रहे हैं, यह पे्रम व भाई चारा ग्रामीणों के लिए आज भी परम्परा है। इतना ही नहीं होली के त्योहार पर कई सामाजिक व धार्मिक परम्पराएं ऐसी भी है जो कि सैकड़ों वर्ष बाद आज भी जीवित है। मुरैना जिले के कैलारस ब्लॉक की शेखपुर पंचायत में ग्रामीण अपनी लगभग चार सौ वर्ष पुरानी परम्परा का अनवरत रूप से पालन आज भी कर रहे है।
जहां होली के दिन लोग रंग,अबीर गुलाल से सने हुए दिखाई देते हैं, वहीं शेखपुर गांव की महिलाएं 16 श्रृंगार करती है और नई कपड़ों के साथ पूरे गांव की परिक्रमा करती है। इस आयोजन में सभी आपसी गिले शिकबे भूलकर शिकरत करते हैं और एक दूसरे को बधाई भी देते हैं। शेखपुर पंचायत में होली के दिन वैसे तो कई तरह के आयोजन किए जाते हैं। जिसमें कन्हैया गायन,नाल हसली उठाना सहित अन्य। लेकिन यहां महिलाओं का गांव की खुशहाली के लिए सजधज कर परिक्रमा करना विशेष आकर्षण का केन्द्र रहता है।
महिला शाम के समय सजकर एकत्रित हो जाती है। इसके बाद पुरुष आगे चलकर मजीरा व ढपली बजाते हुए कन्हैया गीत गाते हैं और महिलाएं भजन गाते हुए पूरे गांव की परिक्रमा लगाती है। यहां बता दें कि यह परम्परा ग्रामीण 400 वर्ष से करते आ रहे हैं। आयोजन में पिछले कई वर्षाे से मजीरा व ढपली बजाने का काम कर रहे गणेशराम त्यागी व रामहेत त्यागी ने बताया कि 400 वर्ष पूर्व गांव में एक संत विजयानंद सिद्ध पुरुष आए और उन्होंने ही शेखपुर में इस परम्परा को शुरू किया।
उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जो महिला पुरुष इस आयोजन में शिकरत नहीं करेगा उसके लिए वर्ष अमंगलकारी होगा। जिसकी वजह से सभी ग्रामीण आपसी गिले शिकबे भूल कर इस आयोजन में शिकरत करते है। संत के प्रति श्रद्धा जताते हुए महिला पूरे श्रृंगार कर इसमें शिकरत करती है। यह पूरे चंबल में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
Published on:
10 Mar 2020 09:00 am
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