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मध्यप्रदेश में होने वाले चुनाव 2023 को लेकर कांग्रेस की ओर से बनाई गई रणनीति के तहत सबसे बड़ा प्रहार सिंधिया की राजनीति पर करने की तैयारी है। इसी के तहत अभी से ही सिंधिया को लेकर कांग्रेस की ओर से कार्य शुरु भी कर दिए गए हैं। ताकि अपनी योजना को अमलीजामा भी वे पहना सकें।
अपनी रणनीति के तहत कांग्रेस ने चलना भी शुरु कर दिया है, इसका असली प्रमाण इन दिनों ग्वालियर की राजनीति में हो रहे बदलावों व राजनीति की बह रही ब्यार में आए कुछ हद तक के परिवर्तन से आसानी से लगाया जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस की इन रणनीतियों से वाकिफ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इस रणनीति के तोड के तहत अपने गृहक्षेत्र में डेरा डाल दिया है और आने वाले चुनाव को देखते हुए अपने समर्थकों में जोश भरने में जुट गए हैं, वहीं भाजपा में टिकट वितरण के फार्मूले से उनकी कथित असहमति के बीच कांग्रेस की ओर से उन्हीं के प्रभाव क्षेत्र में तगड़ी घेराबंदी की प्लानिंग की गई है।
जानकारों की मानें तो ग्वालियर महल के प्रति आक्रामक रूख अपनाने वाली कांग्रेस इस कोशिश में है कि चुनाव के वक्त ग्वालियर चंबल मेें पार्टी के इतने दिग्गज नेता रणभूमि में उतार दिए जाएं कि सिंधिया अपने गढ़ से बाहर ही नहीं निकल सके। ग्वालियर चंबल में अभी तक दिग्विजय सिंह ही अपने राजनीतिक चिर-प्रतिद्वन्दी से टक्कर ले रहे थे। उनके इस अभियान को गति देने जीतू पटवारी समेत दिग्विजय सिंह के पुत्र पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी सघन दौरे किए, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अब सिंधिया के खिलाफ अजयसिंह को भी मैदान में उतार दिया है।
इसी के तहत अजय सिंह को ग्वालियर संभाग के तीन जिलों ग्वालियर, शिवपुरी और दतिया का प्रभारी बना कर चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है कि ग्वालियर में सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस का अभियान अब अजयसिंह के नेतृत्व में ही चलेगा।
अजयसिंह ने जिले के कांग्रेस के तीन मौजूदा विधायकों डॉ. सतीश सिकरवार, लाखन सिंह यादव व सुरेश राजे के विधानसभा क्षेत्रों में जाकर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर, उन्हें बताया कि चार दशक के लम्बे अंतराल के बाद ग्वालियर में कांग्रेस सिंधिया के एकाधिकारिक वर्चस्व से मुक्त हुई है और इस बार कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के हितों को दमित करने व पार्टी में ही भीतरघात करने वाली कोई ताकत नहीं है। साफ जाहिर है कि अजय सिंह ऐसे राजनीतिक कटाक्ष कर ग्वालियर क्षेत्र में कांग्रेस के कभी एकछत्र छत्रप रहे वरिष्ठ नेता पर सीधा निशाना साध रहे हैं।
सिंधिया और अजय सिंह की प्रतिद्वंद्विता
बताया जाता है कि 2023 के चुनाव में सिंधिया के लिए कोई स्पेस न देने की रणनीति पर काम कर रहे कमलनाथ इस तथ्य से अच्छे से वाकिफ हैं कि ग्वालियर जयविलास के मुखिया की राजनीतिक घेराबन्दी के लिए कांग्रेस में अजयसिंह से ज्यादा मुफीद कोई और चेहरा नहीं है। यह सिर्फ सिंधिया और अजय सिंह की प्रतिद्वंद्विता नहीं है, बल्कि मध्यभारत और विंध्य के दो प्रमुख राजनीतिक परिवारों के पुराने मतभेदों का बढ़ता सिलसिला है।
राजनीति के जानकार तो यहां तक मानते हैं कि दिवंगत माधवराव सिंधिया का नाम जब भी पार्टी हाईकमान ने सीएम के लिए फाइनल किया, तब-तब अजय सिंह के पिता दि. अर्जुन सिंह, सिंधिया का श्यामला हिल पहुंचने का रास्ता बाधित करते रहे। ग्वालियर की राजनीति में दि. अर्जुन सिंह के प्रतिनिधि माने जाने वाले पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव ने भी हमेशा ही सिंधिया के खिलाफ मोर्चा खोले रखा। ग्वालियर चंबल में अजय सिंह को तैनात करते समय कमलनाथ ने इसी राजनीतिक पृष्ठभूमि पर ध्यान बनाए रखा है। अजय सिंह के भरोसेमंद माने जाने वाले भोपाल के महेंद्र सिंह चैहान को ग्वालियर जिले की जिम्मेदारी सौंपे जाने के भी यही सियासी अर्थ माने जा रहे हैं।
किसने क्या कहा-
इस पूरे मामले के संबंध में जहां भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस में यह परिपाटी रही है कि इनके नेता अपनी ही पार्टी के भीतर अपना खुद का राजनीतिक वर्चस्व कायम करने के लिए काम करते हैं। अजयसिंह के दौैरे का मकसद भी उनके अपने गुट को मजबूती देना हो सकता है। वैसे भी यही खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने उनके कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी है।
वहीं दूसरी ओर इस मामले में कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता धर्मेंद्र शर्मा के अनुसार इन तीन दिनों में अजयसिंह ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश भरा है। भाजपा को यह समझ जाना चाहिए कि हमारी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उतर चुकी है। अभी तो अजयसिंह आए हैं। मार्च 2020 के गद्दारों का असली चेहरा बेनकाब करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं के आगमन का यह सिलसिला जारी रहेगा।
Published on:
22 May 2023 06:52 pm
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