
कलयुग में इस वर्ष सावन माह रहेगा विशेष, भगवान विष्णु जी कल्कि रूप में होंगे अवतरित, महत्व और पूजा की विधि जानकर, जीवन को बनाएं सफल
ग्वालियर. वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णुजी कल्कि रूप में अवतरित होंगे। भगवान विष्णुजी के कल्कि का अवतार सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन होगा। तदनुसार प्रत्येक वर्ष सावन माह में शुक्ल पक्ष को कल्कि जयंती मनाया जाता है। इसलिए श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को देशभर में बड़े ही धूमधाम से कल्कि जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 05 अगस्त 2019 सोमवार को कल्कि जयंती मनाई जाएगी।
कल्कि जयंती व्रत कथा : पुराणों के अनुसार भगवान कल्किजी का जन्म कलयुग की समाप्ति तथा सतयुग के संधि काल में सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को कश्मीर राज्य में विष्णुदत्त नामक व्यक्ति के घर पर होगा। विष्णुदत्त भगवान विष्णुजी का परम भक्त होगा। जबकि बारह वर्ष की उम्र में भगवान कल्कि का विवाह त्रिकोता नामक कन्या से होगा।
मंगला गौरी की कथा एवं इतिहास :भगवान कल्कि के अवतार के विषय में दक्षिण भारतीय पंडितों का कहना है कि भगवान कल्कि उस समय अवतरित होंगे जब चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र तथा राशि कुम्भ में होगा। स्कंध पुराण के अनुसार भगवान कल्किजी का अवतार उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर स्थित मुरादाबाद के संभल ग्राम में होगा।
कल्कि जयंती महत्त्व : भगवान श्रीकृष्णजी ने गीता उपदेश में अर्जुन से कहा है जब-जब धर्म का पतन होता है, मैं मनुष्य रूप में अवतरित होकर समस्त पापों का नाश कर फिर से धर्म की स्थापना करता हूं। भगवान विष्णुजी के कल्कि का अवतार सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को होगा। इसलिए श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को देशभर में बड़े ही धूमधाम से कल्कि जयंती मनाई जाती है। इस व्रत का विशेष महत्त्व है। सच्चे दिल से जो कोई भगवान कल्कि की पूजा-अर्चना करता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है।
कल्कि जयंती पूजा विधि : इस दिन ब्रह्म मुहूर्त काल में उठें, स्नान-ध्यान से निवृत होकर सर्वप्रथम व्रत का संकल्प करना चाहिए। तत्पश्चात भगवान कल्किजी के प्रतिमूर्ति को गंगा स्नान कराना चाहिए। उन्हें वस्त्र पहनाएं। भगवान कल्किजी को पूजा स्थल पर एक चौकी पर अवस्थित करें। तत्पश्चात भगवान कल्किजी को जल का अघ्र्य देकर पूजा प्रारम्भ करना चाहिए। भगवान कल्किजी की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से करना चाहिए। आरती-अर्चना करने के पश्चात् पूजा सम्पन्न करना चाहिए।
Published on:
04 Aug 2019 11:44 am
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