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दिव्यांगों के भीतर होती है बौद्धिक क्षमता

- ब्रह्माकुमारीज का दिव्यांगों के लिए समानता, संरक्षण और सशक्तिकरण अभियान

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दिव्यांगों के भीतर होती है बौद्धिक क्षमता

दिव्यांगों के भीतर होती है बौद्धिक क्षमता

ग्वालियर. दिव्यांगों के भीतर एक अद्भुत क्षमता होती है। वे अपनी आत्मशक्ति के बल पर जो चाहते हैं वो कर लेते हैं क्योंकि उनकी शारीरिक क्षमता भले ही कमजोर हो, लेकिन बैद्धिक क्षमता अधिक होने से वो ऐसे कार्य भी कर लेते हैं, जो आमतौर पर अकल्पनीय माने जाते हैं। यह विचार भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह ने ब्रह्माकुमारीज की ओर से चलाए जा रहे अभियान दिव्यांग संरक्षण, समानता एवं सशक्तिकरण के लिए किए जा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। इस मौके पर भोपाल से आए दीपेंद्र भाई प्रमुख रूप से मौजूद रहे। झांसीरोड स्थित माधव अंधाश्रम में हुए कार्यक्रम में आशीष प्रताप सिंह ने अरुणिमा सिन्हा का उदाहरण देते हुए कहा कि दिव्यांग होते हुए भी उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचकर दिखा दिया कि वो किसी से कम नहीं हैं। बीके सरिता दीदी ने कहा कि दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं साहस चाहिए। हमें उनके हुनर को प्लेटफॉर्म देना होगा, आगे का रास्ता वे खुद तय कर लेंगे। समाज इनके साथ समानता का व्यवहार करे जिससे इनकी प्रतिभा में निखार हो। भोपाल से आए दीपेंद्र भाई ने कहा कि दिव्यांगों के शरीर में कमी हो सकती है, लेकिन हर शरीर मेें एक आत्मा है और आत्मा कभी विकलांग नहीं होती है। इस मौैके पर दृष्टिहीन छात्रों को ब्रेललिपी की प्रदर्शनी दिखाई गई, जिससे वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें और अधिक आत्मविश्वास पूर्वक जीवन जिए। इस मौके पर अंधाश्रम स्कूल के प्राचार्य रामलाल केवट आदि मौजूद रहे। वहीं इस अभियान का समापन मालनपुर में जोनल हेड बीके अवधेश की मौजूदगी में किया गया।