
ishura mahadev
ग्वालियर। मध्यप्रदेश के इस जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां रात में अदृश्य शाक्ति मंदिर में आती है और पूजा कर करके सुबह चली जाती है। एक दिन मंदिर के पूजारी ने सुबह जल्दी आकर ऐसा दृश्य देखा जिसकी कल्पना कोई भी नहीं कर सकता है। मुरैना क्षेत्र के पहाडगढ़़ के घने जंगलों में स्थित ईशुरा महादेव मंदिर पर अदृश्य शक्ति द्वारा पूजा अभी भी रहस्य बनी हुई है।पहाडगढ़़ के घने जंगल की कंदरा में स्थित प्राचीन शिविलंग का अपना विशेष महत्व है। मान्यता है कि मंदिर में तड़के चार बजे के आसपास सिद्धबाबा स्वयं पूजा-अर्चना करने आते हैं,लेकिन पूजा के इस रहस्य की गुत्थी अब तक सुलझ नहीं पाई है।
कैलारस तहसील मुख्यालय से 25किमी दूर घने जंगल की प्राकृतिक कंदरा में स्थित शिवलिंग पर साल के 365 दिन कुदरती तौर पर पानी की बूंदें टपकती रहती हैं। कुछ वर्ष पहले तक तो इस मंदिर पहुंचने के लिए रास्ता तक नहीं था। हालांकि अभी भी स्थिति ज्यादा सुधरी नहीं है,लेकिन दुर्गम इलाके से पहले की तुलना में अब पहुंचना अपेक्षाकृत आसान हुआ है,लेकिन दो किमी का रास्ता अब भी दुर्गम है। इसके बावजूद मनोकामना पूरी होने की उम्मीद में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
महाशिवरात्रि के अलावा यहां सावन महीने और खासतौर से सोमवार को लोग भारी संख्या में पूजा करने पहुंचते हैं। बताया जाता है कि यहां संत रामदास महाराज यहां तपस्या करते थे और वह शिवलिंग की पूजा तड़के ही करते थे। जब वे ब्रह्मलीन हुए तो उसके बाद भी पूजा-अर्चना नियमित रूप से होती रही है।
जिसका अब तक कोई भी पकड़ नहीं कर सका है। पहले तो लोग यही समझते रहे कि कोई भक्त पूजा-अर्चना करके चला जाता होगा। वह भक्त कभी किसी को दिखा नहीं तो कौतूहल हुआ और रहस्य को जानने की कोशिश हुई। घना जंगल होने से पहले वहां रात को कोई रुकता नहीं था,इसलिए यह रहस्य ही बना रहा।संतों के अनुसार शिवलिंग से कई बार सर्प लिपटे देखे गए हैं और फिर यह अदृश्य हो जाते थे।
सेना सोती रही और हो गई पूजा
ईशुरा महादेव मंदिर पर गुप्त पूजा-अर्चना के रहस्य को जानने का प्रयास पहाडगढ़़ रियासत के राजा पंचम सिंह भी कर चुके हैं। उन्होंने रात में हो जाने वाली पूजा का रहस्य जानने के लिए अपनी सेना को मंदिर के इर्द-गिर्द लगा दिया था। चौकसी में लगी सेना सुबह चार बजे से पहले अचेतन अवस्था में चली गई। जब आंख खुली तो वहां पूजा-अर्चना हो चुकी थी।
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आज तक पता नहीं
ईशुरा महादेव मंदिर के आसपास अनोखे बेलपत्र के पेड़ हैं। सामान्य तौर पर बेल की पत्तियां तीन-तीन के समूह में होती है,लेकिन यहां पांच,सात तक हैं। बताया तो यह भी जाता है कि कई बार शिवलिंग पर 21 के समूह वाली बेल पत्तियां भी देखी गई हैं जो आज भी रहस्य बना हुआ है। इतना ही नहीं आज तक इस मंदिर पर पूजा अल सुबह कौन करता है इसकी जानकारी भी लोगों को अब तक पता नहीं चल सकी है।
Published on:
31 Dec 2017 04:14 pm
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