
It is arrogant and arrogant for the High Court to call the Principal Secretary of the Social Security Department because the order was not followed.
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने बुधवार को सामाजिक सुरक्षा विभाग के प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह अधिकारी अभिमानी लग रहा है। न न्यायालय में उपस्थित हो रहे हैं और कोर्ट के आदेश का सम्मान कर रहे है। अंधाश्रम के छात्रों की समस्याओं दूर भी नहीं कर रहे हैं और रिपोर्ट में गलत तथ्य दे रहे हैं। कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को निर्देशित किया कि प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा व तत्काली प्रमुख सचिव अरुणा शर्मा को न्यायालय में 3 अप्रैल को मौजूद रखें।
दरअसल राम कुमार केवट ने माधव अंधाश्रम की अव्यवस्थाओं को लेकर 2011 में जनहित याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने इस आश्रम की अव्यवस्थाओं को संज्ञान में लेते हुए 15 बिंदु तय किए थे। उन 15 बिंदु के आधार पर आश्रम की अव्यवस्थाओं में सुधार करना था, लेकिन हाईकोर्ट का आदेश होने के बाद सुधार नहीं किया गया। जिसको लेकर राम कुमार केवट ने 2014 में अवमानना याचिका दायर की। इस याचिका में तर्क दिया कि शासन ने आश्रम की व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में कार्य नहीं किया है। अवमानना याचिका दायर होने के बाद शासन ने दो बार पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश की। यह याचिका चीफ जस्टिस की बैंच में सुनी गई। शासन ने जो रिपोर्ट पेश की, उस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति की। चीफ जस्टिस ने माना कि आदेश का पालन नहीं हुआ है। सामाजिक न्याय विभाग की तत्कालीन प्रमुख सचिव अरुणा शर्मा सहित वर्तमान प्रमुख सचिव को तलब किया है। जिससे अवमानना के आरोप तय हो सकें। बुधवार को दोनों अधिकारियों को न्यायालय में उपस्थित होना था, लेकिन प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा उपस्थित नहीं हुए। 2023 में जो रिपोर्ट पेश की, उसको पालन प्रतिवेदन मानते हुए अवमानना याचिका को खारिज करने की मांग की। इसको लेकर हार्ईकोर्ट ने प्रमुख सचिव फटकार लगाते हुए न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
इस आदेश का नहीं हुआ पालन
Published on:
21 Mar 2024 11:07 am
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