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चिंतन से नष्ट होते हैं बुरे विचार

- जैन मुनि अविचल सागर महाराज बोले

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चिंतन से नष्ट होते हैं बुरे विचार

चिंतन से नष्ट होते हैं बुरे विचार

ग्वालियर. जिनेन्द्र भगवान की वाणी सुनना बहुत जरूरी है, इससे अंतरंग की मलिनता नष्ट हो जाती है। यदि जीवन में चिंतन है तो कुछ भी कठिन नहीं होता। चिंतन से बुरे विचार नष्ट हो जाते हैं। यह विचार जैन मुनि अविचल सागर महाराज ने मंगलवार को नया बाजार जैन मंदिर में धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि साधना का लक्ष्य स्वयं होना चाहिए। हृदय में दया भाव जाग्रत हो जाए तो कडक़ स्वभाव भी अच्छा माना जाता है। यदि हमारे अंदर करुणा, दया, प्रेमभाव नहीं है तो किसी को डांटना भी नुकसानदायक बन जाता है।
संन्यासी का जीवन हवा की तरह
जैन मुनि अविचल सागर ने कहा कि संन्यास अवस्था में मन खाली हो जाता है। घर-परिवार की कोई जिम्मेदारी नहीं होती। उसका जीवन हवा की तरह हो जाता है। गृहस्थ की स्थिति इसके विपरीत होती है। फिर भी यदि वह नीरस भोजन करने लगे तो कुछ दिन में उसके हृदय में परिवर्तन होने लगता है।
अपने आपको उत्कृष्ट बनाओ
जैन मुनि ने कहा कि हमें अपनी इंद्रियों, वाणी और मन सर्वोत्कृष्ट बनाकर जीवन यापन करना चाहिए। भले ही मुक्ति न मिले, इनका गलत उपयोग नहीं करना चाहिए। धर्म के नाम पर अहिंसा की बात करना पाखंड है। उन्होंने आगे कहा कि कोई बड़ी घटना घटित होने पर ही जीवन में बदलाव आता है। इंसान को कोई संन्यासी या शास्त्र नहीं सुधार सकते। उसके जीवन में अतीत की घटनाओं का अवलोकन करने पर ही स्वभाव में परिवर्तन आता है।