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राजकाज में व्यस्तता के चलते कालिदास भूल गए मल्लिका का प्रेम

मराठी नाट्य महोत्सव

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राजकाज में व्यस्तता के चलते कालिदास भूल गए मल्लिका का प्रेम,राजकाज में व्यस्तता के चलते कालिदास भूल गए मल्लिका का प्रेम,राजकाज में व्यस्तता के चलते कालिदास भूल गए मल्लिका का प्रेम

ग्वालियर.
आर्टिस्ट कंबाइन के 81वें स्थापना दिवस पर आयोजित मप्र मराठी नाट्य महोत्सव के अंतर्गत रविवार को 'अषाढतील एक दिवसÓ का मंचन हुआ। मोहन राकेश के कालजयी हिंदी नाटक का मराठी में अनुवाद विश्वनाथ राजपाठक ने किया है। यह एक काल्पनिक कथा है, जिसे ऑडियंस द्वारा पसंद किया गया। नाटक के निर्देशक डॉ संजय लघाटे हैं। इस नाटक में बताया गया है कि एक इंसान सुख सुविधा मिलने के बाद किस तरह से अपने गांव और प्रेमिका को भुला देता है और जब उसे अपनी गलती का एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

समय के साथ बदल गई लेखनी
कवि कालिदास के जीवन पर आधारित नाटक में उनकी प्रेरणा है प्रेमिका मल्लिका, जिसके सौंदर्य पर और प्रकृति पर सुंदर रचनाएं लिखते हैं, जिससे उनके कार्य की ख्याति उज्जयिनी के राजा तक पहुंचती है। राजा कालिदास को आमंत्रित करते हैं, लेकिन वे मना कर देते है। लेकिन मल्लिका के कहने पर वह जाते हैं। समय के साथ वहीं रम जाते हैं और अपने गांव और मल्लिका को भूल जाते हैं। उनका विवाह राजकुमारी प्रियंगुमंजरी से होता है और वे वहां राजकाज में व्यस्त हो जाते हैं। उसे गांव के ही विलोम नाम के युवक से विवाह करना पड़ता है। उसे एक पुत्र होता है। कुछ समय बाद जब कालिदास उस गांव से गुजरते हैं और विलोम और मल्लिका का गृहस्थ जीवन देखते हैं, तो बातचीत के बाद उदास होकर लौट जाते हैं। उसे इस बात का भी एहसास होता है कि जो बात उनकी लेखनी में पहले थी, वह अब नहीं रही।


इन्होंने किया अभिनय
अम्बिका- संगीता विनोद करकरे
मल्लिका- ऋ तिका करकरे
कालिदास- प्रमोद पतकी
दंतुलध्निरपेक्ष- अंकुर धारकर
मामा- केशवराव मजुमदार
विलोम- सचिन मजुमदार
अनुस्वार- प्रशांत विद्वत
अनुनासिक- आदित्य खोले
प्रियंगुमंजरी- धनश्री लिमये धारकर