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देश को पीएम और जज देने वाले एमपी के इस कॉलेज से छीना दाखिले का हक,खबर पढ़ आप भी रह जाएंगे हैरान

देश को पीएम और जज देने वाले एमपी के इस कॉलेज से छीना दाखिले का हक,खबर पढ़ आप भी रह जाएंगे हैरान

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देश को पीएम और जज देने वाले एमपी के इस कॉलेज से छीना दाखिले का हक,खबर पढ़ आप भी रह जाएंगे हैरान

ग्वालियर। देश को प्रधानमंत्री और कई न्यायधीश देने वाला 150 वर्ष पुराना एमएलबी कॉलेज दूषित राजनीति का शिकार हो गया है। जीवाजी यूनिवर्सिटी की अनदेखी के कारण यह कॉलेज सत्र 2018-19 में संबद्धता से वंचित होकर उच्चशिक्षा विभाग की एडमिशन प्रक्रिया से बाहर हो गया है। दूसरी ओर, निजी लॉ कॉलेजों ने मौके का लाभ उठाते हुए सीटें भरना शुरू कर दी हैं। पहले राउंड में जहां कई निजी लॉ कॉलेजों की 40 से 60 प्रतिशत तक सीटें भर गई हैं,वहीं एमएलबी कॉलेज का लॉ डिपार्टमेंट खाता तक नहीं खोल पाया है।

कॉलेज प्रबंधन ने जेयू को छात्रों के भविष्य का हवाला देते हुए संबद्धता की मांग की, लेकिन जेयू ने बीसीआइ की मान्यता की बात कहकर मामला टरका दिया। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने उच्च शिक्षा मंत्री और शासन को कई पत्र लिखे, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।

विवाद में बिताया पहला राउंड
सूत्रों के अनुसार संबद्धता को लेकर बीसीआइ और जेयू के बीच फंसे एमएलबी कॉलेज को साजिश के तहत एडमिशन के पहले राउंड से बाहर कर दिया गया है। ताकि शहर के कुछ निजी लॉ कॉलेज अपनी सीटें भर सकें। कॉलेज के लॉ विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कांकड़ का कहना है कि उन्होंने बीसीआई के अधिकारियों से बात की है। वे जल्द लीगल एजुकेशन समिति की बैठक बुलाकर २ जुलाई से पहले हमें मान्यता का सर्टिफिकेट दे देंगे,ताकि दूसरे राउंड से हम एडमिशन प्रक्रिया में शामिल हो सकें।

निजी कॉलेजों की फीस में तिगुना अंतर
जो छात्र एमएलबी कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाए हैं, उन्हें निजी कॉलेजों में तिगुनी फीस देकर अपनी डिग्री करनी होगी। निजी लॉ कॉलेजों में छात्रों से कई चार्ज ऐसे वसूले जाते हैं, जिनकी रसीद तक उनको नहीं मिलती, यहां तक कि प्रैक्टीकल परीक्षा में पास होने के लिए भी छात्र से पैसे लिए जाते हैं, जब कि एमएलबी कॉलेज में सिर्फ तय फीस ली जाती है उसकी भी रसीद छात्र को दी जाती है।

पूर्व पीएम सहित कई जजों ने की यहां से पढ़ाई
एमएलबी कॉलेज से पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी,जज सूर्यवंश त्रिपाठी,राधेश्याम गुप्ता सहित कई जज इसी कॉलेज से पढ़कर निकले हैं।

"हम बीसीआइ को वर्ष जुलाई में निरीक्षण के लिए सात लाख रुपए की फीस जमा कर चुके हैं। यह बात जेयू को बताई थी, लेकिन वे सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। छात्र एडमिशन के लिए निरंतर कॉलेज में संपर्क कर रहे हैं।"
डॉ.केएस राठौर, प्राचार्य, एमएलबी कॉलेज

"हमने कॉलेज को कई बार कहा कि आप बीसीआइ का निरीक्षण करा लीजिए। बीसीआइ मान्यता के बिना संबद्धता नहीं देंगे। शासन के कड़े निर्देश हैं।"
प्रो.डीडी अग्रवाल, डीसीडीसी,जेयू