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पेंशन, संबल, जनकल्याणकारी योजना, फिलहाल नहीं ले सकेंगे लाभ, करना होगा 60 दिन इंतजार

MP Assembly Election 2023 : आचार संहिता के चलते शासन ने सभी योजनाओं के पोर्टल किए बंद...

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MP Assembly Election 2023 : विधानसभा चुनाव में आचार संहिता लगते ही शासन की ओर से संचालित हो रही सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अब आमजन को नहीं मिल सकेगा। यह सभी योजनाएं 60 दिन यानी आचार संहिता हटाने के बाद व नई सरकार के गठन के बाद ही चालू होंगी। वहीं जिन लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है वह आए दिन कभी क्षेत्रीय कार्यालय तो कभी निगम मुख्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि जनकल्याण शाखा में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी उन्हें चुनाव में आचार संहिता लगने के कारण पोर्टल बंद होने व चालू होने के बाद ही योजनाओं का लाभ मिलने की बात कह रहे हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय कार्यालय, जनमित्र केंद्र पर भी काफी संख्या में आवेदन पेंडिंग पड़े हुए है। योजनाएं बंद होने के साथ ही सिर्फ समग्र आईडी बनवाने व अपेडट का पोर्टल खोला हुआ है।

योजना का नाम व संख्या

पेंशन योजनाएं -52564

मुख्यमंत्री शहरी घरेलू कामकाजी कल्याण योजनाएं -120699

मुख्यमंत्री हाथठेला चालक कल्याण योजनाएं -18644

मुख्यमंत्री केशशिल्पी कल्याण योजना- 2654

मुख्यमंत्री सहरिया आदिवासी आहार अनुदान योजना -485

बीपीएल सर्वे सूची-32468 खाद्यान पात्रता पर्ची -152870

राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना वित्तीय वर्ष (2021-22)-329

संबल योजना-2-3970

प्रधानमंत्री लोन योजना-54000

ये है जनकल्याणकारी योजनाएं
राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृदावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, निशक्त पेंशन, सामाजिक सुरक्षा वृदवस्था पेंशन, सामाजिक सुरक्षा निशक्त पेंशन, मुख्यमंत्री दिव्यांग शिक्षा प्रोत्साहन,मुख्यमंत्री मानसिक/बहुविकलांग, मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक, मुख्यमंत्री कल्याणी पेंशन व मुख्यमंत्री अविवाहिता पेंशन व भवन संनिर्माण कार्ड सहित अन्य हैं।

क्षेत्रीय व जनमित्र केंद्र पर पेंडिंग है काफी आवेदन

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही नगर निगम के क्षेत्रीय कार्यालय, जनमित्र केंद्र व निगम मुख्ययालय में भी काफी संख्या में आवेदन पेंडिंग पड़े हुए है। क्योंकि एक क्षेत्रीय कार्यालय व जनमित्र केंद्र पर हर दिन विभिन्न योजनाओं के 50 से अधिक आवेदन आते है। ऐसे में इनमें कुछ आवेदन ऐसे भी है जो आचार संहिता लगने से एक-दो दिन पूर्व ही आए हैं और पोर्टल बंद होते ही उन्हें कर्मचारी-अधिकारी भी आगे नहीं बढ़ा पाए।