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MP की राजनीति- कांग्रेस के जाल में भाजपा के हाल

- कांग्रेस ने शुरु की अपनी रणनीतिक चाल

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मध्य प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव 2023 को लेकर दोनों ही प्रमुख पार्टियां इन दिनों अपना जोर दिखा रही हैं। ऐेसे में दोनों की रणनीति साफ तौर पर दूसरे को पछाडने की ही है, इन्हीं सब स्थितियों के बीच कांग्रेस की ओर से भाजपा के गढ रहे ग्वालियर को घेरने की शुरुआत कर दी गई है। ज्ञात हो कि वर्तमान में ग्वालियर जिले की छह विधान सभा सीटों में से चार सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, जिनमें से दो शहर और दो देहात की सीटें हैं।

ऐसे में कांग्रेस साल 2023 के चुनाव में भी इन चारों सीटों पर तो हर हाल में कब्जा बरकरार रखना ही चाहती है। साथ ही भाजपा के हाथ आई दो सीटों को भी अपने कब्जे में करना चाहती है।

इसी मकसद के चलते ग्वालियर में तीन दिन के लिए अजयसिंह ने डेरा डाल दिया है। प्लान तो यही है कि वे एक-एक सीट पर जाकर मंडलम, सेक्टरों की बैठकें लेते हुए चुनावी तैयारियों के लिए कुछ खास बातें बताएंगेे।

ज्ञात हो कि अजयसिंह के आने के पहले ही उनके नजदीकी महेंद्र सिंह चैहान ने भोपाल से आकर तमाम प्री-मीटिंगें लीं, उधर प्रदेश के सहप्रभारी शिव भाटिया भी अंचल का दौरा कर चंद दिनों पहले ही दिल्ली लौटे हैं। कांग्रेस की इस योजना को देखकर लगता तो यही है कि कांग्रेस ने महाराज को उन्हीं के गढ़ में घेरने के लिए कमर कस ली है।

दीपक जोशी का बदला...
उधर, जब से दीपक जोशी ने भाजपा को छोड़ कांग्रेस को ज्वाइन किया है, तभी से भाजपा को ऐसे कांग्रेसी चेहरे की तलाश थी जिसे भगवा पटका पहनाकर बदला चुकाया जा सके। ऐसे में अब भाजपा की यह तलाश चंबल की अंबाह सीट पर जाकर खत्म हुई, जहां के पूर्व विधायक सत्यप्रकाश को खुद शिवराज सिंह ने भोपाल बुलाकर सदस्यता दिलाई। जबकि सच्चाई तो यह है कि सत्यप्रकाश तीन साल पहले ही कांग्रेस में आए थे, वे 2013 के चुनाव में अंबाह सीट से बसपा के टिकट पर जीते थे, इसके बाद इसी पार्टी के सूबा सदर और विधायक दल के नेता भी रहे।

अंबाह उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें कमलेश जाटव के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन वे जीत नहीं सके। वैसे सत्यप्रकाश के भाजपा में जाने को अटकलें उसी समय से शुरू हो गईं थीं जब 2013 मई को कमलनाथ की जौरा में हुई सभा से उन्होंने दूरी बना ली थी। पांच साल पहले दो अप्रेल के दंगों में सात लोगों की मौत के बाद से ही दलितों के बीच नाराजगी झेल रही भाजपा अब सत्यप्रकाश का इस्तेमाल चुनाव में दलित चेहरे के रूप में कर सकती है।

इन्हें अब इनाम-खिताब
इस साल की शुरुआत में फूलबाग चैराहे पर सीएम का जलता हुआ पुतला एक पुलिस अधिकारी पर फेंकने के जुर्म में ग्वालियर कांग्रेस के करीब आधा दर्जन युवा नेताओं को महीनों तक जेल की हवा खानी पडी थी। बुरी तरह झुलसे ये पुलिस अफसर भी एक महीना तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद काम पर लौट आए हैं। कांग्रेस नेताओं पर पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट निरस्त कर चुका है। अब जेल जाने वाले नेताओं को बतौर इनाम संगठन में बड़े पदों से नवाजने का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत अभिमन्यु पुरोहित को एनएसयूआई का शहर सदर बनाने के साथ हुई है। आकाश तोमर, शिवराज यादव, अनीस और गुडसेले भी उम्मीद से कतार में हैं।

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