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मदद या मजाकः राहत के नाम पर फटे पुराने कपड़े और जूते बांटे

सांसद ने जन दरबार लगाकर बांटे थे कपड़े, नजरपुर बाढ़ पीड़ितों ने सुनाई खरी खोटी।

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ग्वालियर. अंचल में आई बाढ़ के बाद तबाह हुए लोगों को शासन-प्रशासन की ओर से मदद की जा रही है। लेकिन कुछ जगहों पर बाढ़ राहत के नाम पर पीढ़ितों से मजाक किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें बाढ़ पीड़ितों को फटे और पुराने कपड़े दे दिए गए। बाढ़ प्रभावित गांव नजरपुर में बाढ़ पीड़ितों को फटे पुराने कपड़े बांट दिए गए।

पीड़ितों का आरोप है कि प्रशासन ने फटे पुराने कपड़े बांट दिए। जूते चप्पल भी टूटी मिली है। जब पीड़ितों ने गठरी से कपड़े निकाले तो फटे पुराने मिले। जिससे नाराज होकर सभी पीड़ित शुक्रवार सुबह मिले सामान को लेकर भितरवार एसडीएम कार्यालय पहुंचे और एसडीएम को फटे पुराने कपड़े दिखाए।

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बाढ़ पीड़ितों का कहना था कि हमारी मजबूरी का मजाक उड़ाया जा रहा है और फटे पुराने कपड़ों को वापस करते हुए कहा कि हम भिखारी नहीं हैं, बाढ़ से हमारा सब कुछ चला गया है। प्रशासन हमारी मदद नहीं कर सकता है, तो मजाक न उड़ाएं। इसको लेकर तीन घंटे तक एसडीएम कार्यालय में हंगामा चला।

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जनदरबार में बांटे गए
24 अगस्त को सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने जिला पंचायत सीईओ सहित अन्य प्रशासनिक अमले के साथ नजपुर गांव में लगाए गए जन दरबार में पीड़ितों को कपड़े बांटा था। पीढ़ितों ने बताया कि पैकिंग कर कपड़े बांटे गए थे, आज कपड़ों की गठरी को खोलकर देखा तो सभी कपड़े न फटे और पुराने निकले। बता दें नजरपुर गांव में 150 से ज्यादा बाढ़ पीड़ित हैं। सांसद के जन दरबार कार्यक्रम में 35 लोगों को कपड़े के साथ गृहस्थी का सामान बांटा गया था।

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बाढ़ पीड़ित जिन्हें फटे पुराने कपड़े मिले थे वे सीधे एसडीएम कार्यालय के अंदर पहुंच गए। हालांकि, उस समय एसडीएम नहीं थे, करीब दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा बाद में एसडीएम अश्वनी रावत पहुंचे। पीड़ितों ने उनसे अपना दर्द बांटा और कहा कि साहब उन्हें बांटे गए कपड़े फटे और पुराने हैं। सुनीता, मीरा, काशीबाई, मुन्नी बाई, ममता, शशि कला, धनवंती हरदेवी, भूपेंद्र आदि ने बताया कि जनदरबार में उन्हें जो कपड़े बांटे गए हैं वे पूरी तरह से बेकार और फटे हुए हैं।