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एमपी हाईकोर्ट ने सरकार फटकारा- इन कलेक्टरों को बचा रहा शासन, याचिका खारिज

MP High Court: शासन ने 2015 में श्रम विभाग से जारी रेवेन्यू नोटिस को चुनौती दी थी। इस मामले में एमपी हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी...- सरकारी खजाने में करदाताओं की राशि है...न कि सरकार की...

MP High Court Gwalior
MP High Court Gwalior (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

MP High court: जिन विभागों के खिलाफ नोटिस जारी किए जा रहे हैं, उन पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें बचाया जा रहा है। कलेक्टरों पर कार्रवाई न करते हुए निराधार व झूठे बहाने बनाए जा रहे। यह कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है। सरकारी खजाने में करदाताओं की राशि है, न कि शासन की।

यह गंभीर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य शासन की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, खजाने पर जो अतिरिक्त बोझ आएगा, उसे देर से संशोधन आवेदन पेश करने वाले जिम्मेदारों से वसूला जाए। तीन महीने में इसकी जांच खत्म करनी होगी।

कोर्ट में शासन ने 2015 में श्रम विभाग से जारी रेवेन्यू नोटिस को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि 2015 में राजस्व वसूली का नोटिस जारी किया था। इसके बाद शासन गहरी नींद में चला गया। अक्सर केसों में देखा जा रहा है कलेक्टर कार्रवाई नहीं कर रहे। जिनके खिलाफ नोटिस जारी किए जा रहे हैं, उन्हें बचाया जा रहा है। अधिकारियों पर शासन की ओर से कार्रवाई नहीं कर उनके लापरवाह रवैये को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इस तरह समझिए मामले को

जल संसाधन विभाग में कार्यरत राजेंद्र कुमार शर्मा श्रम न्यायालय के नवंबर 2013 के आदेश में वर्गीकृत डिप्लोमा धारक पर्यवेक्षक का वेतनमान के लिए पात्र थे। निर्देश दिया कि वह 7. ०7 लाख रुपए पाने का हकदार है। कोर्ट ने पाया, राज्य ने 2014 में एक रिट दायर की थी, जिसका 2016 में निपटारा कर दिया, जिसमें संशोधन आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता। ८ साल बाद 2024 में संशोधन याचिका दायर की।

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