MP News: हाईकोर्ट की ग्वालियर युगल पीठ (gwalior high court) ने एकल पीठ के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें कहा था कि याचिकाकर्ता को कोर्ट ने बाइज्जत बरी नहीं किया है। समझौते के आधार पर केस खत्म हुआ है। अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति की पुलिस में जरूरत नहीं है, क्योंकि यह अनुशासित बल है। युगल पीठ ने कहा कि किसी भी कानून का प्रयोग हमेशा उस समय, सामाजिक परिस्थितियों और रीति-रिवाजों, उस वातावरण के लिए होता है, जिसमें वह लागू होता है।
हाईकोर्ट ग्वालियर के अधिकार क्षेत्र मैं कई मामले शिकायत के आधार पर झूठे आरोप या अतिशयोक्ति के साथ दर्ज किए जाते हैं। कई बार, सरकारी नौकरी (government jobs) में कार्यरत व्यक्ति को आरोपी के रूप में फंसाया जाता है और कई मामलों में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे उम्मीदवार को भी आरोपी के रूप में फंसाया जाता है। ताकि उसके भविष्य की संभावनाओं को बर्बाद किया जा सके। जमीनी स्तर पर काम करने वाले पुलिस अधिकारी जमीनी हकीकत से अच्छी तरह वाकिफ हैं। हर मामले को सावधानी से समझते हैं। अब बर्खास्त आरक्षक को फिर से नौकरी मिल सकेगी।
दरअसल कपिल नामदेव ने वर्ष 2020-21 में आरक्षक पद के लिए आवेदन किया। परीक्षा पास होने के बाद उसे आरक्षक पद पर नियुक्ति दी गई और रायसेन में पोस्टिंग की, लेकिन कपिल नामदेव पर दो आपराधिक प्रकरण दर्ज थे। चरित्र प्रमाण पत्र के आधार पर उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया। इसके खिलाफ कपिल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन एकल पीठ ने उसकी याचिका खारिज कर दी। टिप्पणी करते हुए कहा कि उसे बा इज्जत बरी नहीं किया गया। इस आदेश के खिलाफ युगल पीठ में रिट अपील दायर की। 20 मई को बहस के बाद फैसला सुरक्षित था। हाईकोर्ट ने अपील में फैसला सुनाते हुए एकल पीठ का आदेश निरस्त कर दिया।
Published on:
11 Jun 2025 01:10 pm