बच्चे को देखने के बाद सास ने तंज कसते हुए कहा था कि भगवान का शुक्र है, बच्चा तेरे जैसा नहीं दिखता है। यह सुनकर उसकी भावनाएं आहत हुईं। दहेज को लेकर आए दिन प्रताडि़त किया जाता था, इसलिए पति के साथ रहना मुमकिन नहीं है।
रागनी (परिवर्तित नाम) ने वर्ष 2010 में आशीष (परिवर्तित नाम) से प्रेम विवाह किया था। पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ने के बाद 2022 में ग्वालियर के कुटुंब न्यायालय में पत्नी ने तलाक के लिए दावा पेश किया, लेकिन पति तलाक देने के लिए तैयार नहीं था। इसके चलते कोर्ट ने दावा खारिज कर दिया।
कुटुंब न्यायालय के आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। हाईकोर्ट ने पति-पत्नी की काउंसलिंग भी कराई, लेकिन काउंसिलिंग में समझौता नहीं हो सका। पत्नी ने साथ रहने से मना कर दिया। कोर्ट ने तलाक की डिक्री पारित की, लेकिन पति को महीने में एक दिन बच्चे से मिलने की इजाजत होगी। क्योंकि हाईकोर्ट के सामने पति ने बच्चे से मिलने की गुहार लगाई थी। पत्नी ने तलाक के लिए चार साल तक लड़ाई लड़ी। तलाक के बदले में पत्नी ने पति से भरण पोषण भी नहीं लिया। न बच्चे का भरण पोषण मांगा।
पत्नी ने क्रूरता में यह दिए तर्क
-जब विवाह किया तो पति कुछ भी काम नहीं करता था, लेकिन कहता था कि व्यापार करेगा। विवाह के उपरांत पति बेरोजगार रहा। पत्नी ने बताया कि उसे खुद नौकरी करनी पड़ी। इसके लिए जयपुर जाना पड़ा। पति मिलने के भी नहीं आता था। -रागनी ने 2011 में बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद सास ने कमेंट करना शुरू कर दिया। आए दिन सास कहती थी कि बेटे की समाज में शादी होती तो 25 लाख रुपए का दहेज मिलता। दहेज को लेकर आए दिन प्रताडि़त किया जाता था। महिला थाना पड़ाव में केस भी दर्ज कराया।
– बच्चे की भी ससुराल पक्ष ने देखभाल नहीं की। उसने नौकरी के साथ बच्चे की देखभाल की।