
moong
MP News: राजमाता कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक ने मूंग की नई किस्म विकसित की है। मूंग की फसल में न मरुका कीट लगेगा और न फफूंद। किसान इस मूंग की फसल को गर्मी व खरीफ दोनों ही सीजन में उगा सकते है। प्रति हेक्टेयर 9 से 10 क्विंटल मूंग निकलेगी। किसानों मूंग का नया बीज 2026 में मिल सकता है। मध्य प्रदेश की जलवायु के हिसाब से बीज काफी अच्छा है। साथ ही राजस्थान में भी इसे गर्मी व खरीफ में उगाया जा सकता है।
प्रदेश में बड़े हिस्से में मूंग की खेती होने लगी है। यह गर्मी के मौसम में अधिक की जाती है क्योंकि कम पानी कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। किसानों को अच्छा बीज मिल सके, उसके लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने मूंग की नई वैरायटी आरवीएस-181 तैयार की है।
इस वैरायटी में मारुका विट्राटा कीट और फ्यूजेरियम विल्ट रोग प्रतिरोधी है। मारुका कीट फलियां खा जाती है, जबकि फ्यूजेरियम विल्ट रोग के कारण पौधे में फंगस लग जाता है, जिसके कारण पत्तियों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं। इनके अलावा पीला मोजेक रोग भी कम असर करेगा।
आरवीएस-181 की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर औसत 9 से 10 क्विंटल है। इसके दानों का रंग हरे रंग का है। चमक अधिक है। यह किस्म खरीफ के साथ-साथ गर्मी के सीजन के लिए उपयुक्त है। वैरायटी को राज्य बीज उप समिति ने पास कर दिया है। इससे केंद्र शासन के पास भेजा जा रहा है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद किसानों को बीज मिल सके।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह कहना है कि आरवीएस-181 के बीज किसानों को वर्ष 2026 तक मिल पाएंगे। पहले न्यूक्लियर शीड तैयार किए जाएंगे। इसके बाद बीडर शीड से प्रोडक्शन शीड तैयार होंगे। प्रोडक्शन शीड किसान उपयोग कर सकेंगे। इस मूंग की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है। इस मध्य भारत में उगाया जाएगा। राजस्थान के पानी उपलब्ध वाले क्षेत्र में भी उगा सकते हैं।
Published on:
20 Apr 2025 05:48 pm
बड़ी खबरें
View Allग्वालियर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
