
ग्वालियर. ग्वालियर शहर में एक और हैरान कर देने वाली कहानी सामने आई है। बीते दिनों शहर की सड़कों पर एक पुलिस अधिकारी के भीख मांगते पुलिस अधिकारियों को मिलने की घटना को अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है। वहीं अब एक IIT कानपुर से पासआउट मैकेनिकल इंजीनियर भी ग्वालियर शहर की सड़कों पर भीख मांगते मिले हैं जिन्हें बुजुर्गों के आश्रम स्वर्ग सदन ने रेस्क्यू किया था। अब जब उनकी कहानी सामने आई है तो हर कोई इस कहानी को जानकर हैरान है।
IIT कानपुर से 1969 में इंजीनियरिंग करने का दावा
बीते दिनों ग्वालियर शहर की सड़क पर एक बुजुर्ग भीख मांगते हुए ठंड से ठिठुरते हुए स्वर्ग सदन की रेस्क्यू टीम को मिले थे। टीम के सदस्य बुजुर्ग को अपने साथ आश्रम ले आए जहां उनकी देखभाल की गई और अब जब पूछताछ की गई तो सुनने वाले हैरान रह गए। फटे हाल सड़क पर भीख मांगने वाले बुजुर्ग ने अपना नाम सुरेन्द्र वशिष्ठ बताया है। फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते हुए सुरेन्द्र ने बताया कि साल 1969 में कानपुर IIT से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पासआउट हैं और उनकी उम्र अब करीब 87 साल हो चुकी है।
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कुछ भूल गए, कुछ याद है
पत्रिका से बात करते हुए बुजुर्ग सुरेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि अब उनकी तबीयत ठीक है। उन्होंने बताया कि नाना-नानी ने उनकी परवरिश की है, वो यूपी के बरेली में रहते थे, एक लड़की के अजमेर और बहन के इंदौर मे होने की बात बताते हैं लेकिन ग्वालियर कैसे पहुंचे इसके बारे में उन्हें कुछ भी याद नहीं है। अपने गुम होने के बारे में काफी सोचने के बाद भी उन्हें कुछ याद नहीं है सिर्फ इतना बता रहे हैं कि एक दिन वो अंधेरा होने के कारण गिर गए थे और कुछ पुलिसवालों ने उनकी मदद की थी और फिर आश्रम के लोगों ने उन्हें सहारा दिया। उन्होंने आश्रम के लोगों का आभार जताते हुए कहा कि लोगों को यहां आकर मानवीय व्यवहार को देखना चाहिए।
बेहद दयनीय अवस्था में मिले थे वशिष्ठ
स्वर्ग सदन के विकास गोस्वामी बताते हैं, बाबा शिंदे की छावनी क्षेत्र में बेहद दयनीय अवस्था में मिले थे। एक चादर में लिपटे हुए थे और ठंड में ठिठुर रहे थे। आश्रम आने के बाद इन्होंने अपने बारे में बताया और कहा कि वो आइआइटी पासआउट हैं साथ ही एलएलएम भी किया है। विकास ने ये भी बताया कि ग्वालियर में वशिष्ठ का एक भतीजा रहता है जिससे संपर्क किया गया है जो आश्रम में आकर बात करने वाले हैं। विकास ने आगे कहा कि बुजुर्ग सुरेन्द्र वशिष्ठ की याददाश्त अब कमजोर होती जा रही है और वो अपने बच्चों के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। कभी कहते हैं कि बच्चें इंदौर में हैं तो कभी अजमेर, मुंबई और यूएस में बच्चों के होने की बात कहते हैं। भतीजे से बात करने के बाद ही सही बात पता चल पाएगी।
बीते दिनों भीख मांगते मिला था पुलिस अफसर
बता दें कि बीते दिनों मनीष मिश्रा नाम के एक एक पुलिस अफसर भी ग्वालियर की सड़कों पर भीख मांगते हुए काफी खराब हालत में मिले थे। तब डीएसपी रैंक के दो पुलिस अफसर रत्नेश सिंह तोमर व विजय सिंह भदौरिया ने उन्हें पहचाना था। कचरे के ढेर पर खाने का सामान ढूंढते हुए भिखारी की मदद करने पहुंचे दोनों पुलिस अधिकारियों को जब भिखारी ने नाम लेकर पुकारा था तो कुछ देर के लिए तो वो हैरान रह गए थे लेकिन थोड़ी ही देर बाद वो उस मनीष मिश्रा को पहचान गए थे जिसकी जांबाजी और निशानेबाजी के किस्से काफी मशहूर थे। अपने साथी को दोनों अफसर अपने साथ ले जाना चाहते थे लेकिन मनीष तैयार नहीं हुए थे और उन्हें स्वर्ग सदन आश्रम लाया गया था जहां उनकी हालत में अब काफी सुधार है।
Published on:
09 Dec 2020 12:17 pm
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