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25 से 35 की उम्र वाले लोग सावधान, कभी भी हो सकते हैं ‘बहरेपन’ का शिकार

Health News: ईएनटी के डॉक्टर कहते हैं कम सुनने की शिकायतें बुजुर्ग तो करते थे, लेकिन अब तो 25 से 35 साल के युवा भी इसका इलाज ढूंढ रहे हैं।

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(फोटो सोर्स: पत्रिका)

(फोटो सोर्स: पत्रिका)

Health News: कान में ब्लू टूथ, ईयर फोन चिपकाए रहने की आदत सुनने की क्षमता को कमजोर भी कर रही है। युवाओं में इसका असर तेजी से दिख रहा है। उम्र से पहले बहरेपन की बीमारी चिंता की बात है, लेकिन फैशन की जिद में लोग इसे अनदेखा कर रहे हैं।

ईएनटी के डॉक्टर कहते हैं कम सुनने की शिकायतें बुजुर्ग तो करते थे, लेकिन अब तो 25 से 35 साल के युवा भी इसका इलाज ढूंढ रहे हैं। इसकी वजह हाई साउंड म्यूजिक सिस्टम, ईयर फोन और ईयरबड का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल है। कान एक क्षमता तक तेज आवाज सहन कर सकते हैं उसके बाद बहरापन शुरू होने लगता है।

ईयरफोन का इस्तेमाल कम करें

फालका बाजार में रहने वाले गोविंद शर्मा (38) कहते हैं काम की वजह से मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा रहता है। फोन को बार-बार उठाकर बात करने से झंझट से बचने ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं। कुछ दिनों बाद ऐसा महसूस होने लगा कि कान के अंदर कुछ अड़ रहा है।

शुरू में यह समझते रहे कि नहाते वक्त कान में पानी चला गया होगा इसलिए दिक्कत हो रही है, लेकिन समस्या खत्म नहीं हुई तो डॉक्टर के पास जाना पड़ा तो दवा के साथ हिदायत मिली कि ईयरफोन का इस्तेमाल कम करना पड़ेगा, नहीं तो आने वाले दिनों में सुनाई देना काफी कम हो जाएगा। हियरिंग एड का इस्तेमाल करना पड़ेगा।

यह समस्याएं

-तेज आवाज से कान में मौजूद तरल पदार्थ हिलता है उससे सुनाई देने की क्षमता कम होती है।

-सीटी की आवाज, झनझनाहट या गर्जने जैसी आवाज आती है तो यह कान की समस्या टिनिटस के लक्षण हैं।

-तेज शोर हृदय रोग और डिप्रेशन की वजह भी साबित हो सकता है।

चिकित्सक कहते हैं तेज शोर सुनने की क्षमता पर सीधा असर करता है। इसमें ज्यादा रहने से कम सुनाई देने की शिकायत बढ़ना तय है। कान 80 से 85 डेसिबल का शोर सहन कर पाते हैं इसके बाद शोर में हर तीन डेसिबल की तेजी कानों पर सीधा असर डालती है। अब हर वक्त फोन और ब्लू टूथ, ईयरफोन और ईयरबड के इस्तेमाल का चलन है तो कम सुनाई देने की शिकायत करने वालों की गिनती बढ़ रही है। इनमें हर उम्र के लोग हैं।

ऐसे बचाव करें

-तेज आवाज से जितना हो सके बचने का प्रयास करें

-ईयरप्लग का इस्तेमाल कम करें या शोर से दूर रहें

-ईयरफोन, ब्लूटूथ, ईयरबड का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करें।

-कानों की भी क्षमता, ओवर लाउड घातक होगा

90 डेसिबल तक आवाज सहन कर सकते हैं कान

कान में ईयर फोन, ब्लूटूथ, हेडफोन लगाना एक फैशन बन रहा है, लेकिन इसे आदत बनाना घातक हो सकता है। क्योंकि कानों में भी आवाज सहन करने की क्षमता होती है। क्षमता से ज्यादा तेज आवाज कान की नसें खराब कर सकती हैं। कान ज्यादा से ज्यादा 90 डेसिबल की तक आवाज सहन कर सकते हैं। इससे ज्यादा आवाज घातक होती है। ऐसे कारखाने जिनमें मशीनों की तेज आवाज होती है वहां काम करने वाले कर्मचारियों के भी सुनने की क्षमता में कमी आती है। इन दिनों युवाओं में कम सुनाई देने की शिकायतें बढ़ रही हैं।- डॉ. वीपी नार्वे, ईएनटी विभागाध्यक्ष जेएएच