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इस आजादी के मायने हैं अलग, इनकी आपबीती आपकी आखों में ला देगी आंसू

राजस्थान की चाइल्ड लाइन टीम के सदस्य रामकिशन मीना के मुताबिक राजस्थान पुलिस की ओर से चलाए गए अभियान के तहत 14 से 17वर्षीय बच्चों को मुक्त कराया गया है

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ग्वालियर/भिण्ड। एक वर्ष से लेकर तीन साल से लापता हुए भिण्ड के 11 बच्चे जब बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए जाने के बाद गृहनगर लाए गए तो उनके मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़े। राजस्थान पुलिस ने ऐसे कुल 25 बच्चों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया था जिनमें 11 भिण्ड के, 05 इटावा यूपी के और एक दरभंगा जिले का है।

कागजी प्रक्रिया पूरी किए जाने के बाद बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति द्वारा उनके परिजनों के सुपुर्द किया है।
राजस्थान की चाइल्ड लाइन टीम के सदस्य रामकिशन मीना के मुताबिक राजस्थान पुलिस की ओर से चलाए गए अभियान के तहत 14 से 17वर्षीय बच्चों को मुक्त कराया गया है।


19 बच्चों को लेकर सोमवार सुबह वे भिण्ड पहुंचे जहां उन्होंने पुलिस के समक्ष सभी बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति भिण्ड अध्यक्ष डॉ. रविंद्र कुमार शर्मा, महिला बाल विकास समिति अध्यक्ष शिवभान सिंह राठौर, वॉलेंटियर राघव सिंह के सुपुर्द किया गया। सभी बच्चों को उनके परिजनों के हवाले करने ले जाया गया। बच्चों को देखकर उनके मां-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लाडलों का चेहरा देखते ही माता-पिता की आंखो से आंसू निकल पड़े।


खाना नहीं मिलता था
बच्चों ने बताया कि जिन लोगों ने उन्हें बंधुआ बनाए रखा था वे उनकों खाना नहीं देते थे। मारपीट भी करते थे साथ ही दिन भर काम कराया करते थे।

भिण्ड के ये लापता बच्चे लौटे घर
एक वर्ष से लेकर तीन वर्ष से लापता नदीम पुत्र गफ्फार खां, आमिर खां पुत्र सलीम खां, बारिश पुत्र कमरुद्दीन खां, योगेंद्र पुत्र मुंशी, इरफान पुत्र बबलू, आाशीष पुत्र राजाराम, साबिर पुत्र रहीश, मुन्ना पुत्र शमशाद खां, समीर पुत्र मेहबूब खां, निहाल पुत्र जमील, अमन पुत्र जमील निवासीगण भिण्ड के अनुसार उन्हें एक महिला द्वारा बहला फुसलाकर लेजाया गया था। महिला ने बच्चों को ले जाकर राजस्थान के जैसलमेर में अलग-अलग स्थानों पर काम करने के लिए लगा दिया जहां उन्हें काम के बदले महज खाना दिया जाता था। इनमें से चार बच्चे एक साल से लापता थे जबकि पांच बच्चे दो साल से और दो बच्चे तीन साल से लापता थे।