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INTERVIEW: पॉप संगीत के नाम पर कचरा

यह कहना है तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने फ्रांस से आए मेरोप बैंड के सदस्यों का।

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Gaurav Sen

Dec 25, 2015

ग्वालियर। भारत के शास्त्रीय संगीत की तरह यूरोप में भी प्राचीन संगीत प्रचलित है, लेकिन पॉप को असल संगीत समझ लिया जाता है। जबकि चाहे बॉलीवुड हो या पॉप ये संगीत के नाम पर हो-हो हा-हा ही हैं।

यह कहना है तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने फ्रांस से आए मेरोप बैंड के सदस्यों का। उन्होंने पत्रिका से खास चर्चा में अपने संगीत पर प्रकाश डाला। इस तीन सदस्यीय दल में फ्रांस के जीन क्रिस्तोफे बोनाफू, इन्द्रे जर्गलेविचियू, बेल्जियम के बर्ट कूल्स शामिल हैं।

हमारी रूह को छूता है संगीत
कलाकारों ने कहा कि चाहे हिन्दुस्तानी हो या उनका लिथेनियन संगीत उनको शांति देता है और उनकी रुह को छूता है। संगीत हमारे लिए सब कुछ है। ये हमारी शख्सियत को विकसित करने में मदद करता है। भारतीय और हमारा संगीत एक सा ही है। बस कंपोजिशन में अंतर हो जाता है।

लिथेनिया का संगीत सीखते हैं
इन्द्रे ने बताया कि उनका बैंड यूरोपिय या फ्रेंच संगीत पेश नहीं करता। वे खुद की कंपोजिशन तैयार करते हैं और सुनाते हैं। वे जो संगीत सीखते हैं वह हजारों वर्ष पुराना लितेनियन संगीत है,
जो सुकू न भारतीय शास्त्रीय संगीत सुनकर मिलता है।

सीख रहे ध्रुपद और बांसुरी
इन्द्रे ने कहा कि वे ध्रुपद सीख रही हैं। हम सभी हॉलैंड के कोदास इंस्टीट्यूट में पढ़ते हैं। वहां ही उन्होंने निर्मल डे और किशोरी अमोनकर से ध्रुपद की शिक्षा ली है। संगीत मेरा विश्वास है। भारतीय संगीत को समझकर मैं कह सकती हूं कि तानसेन के गाने से वर्षा होती होगी और दिए जल उठते होंगे। जीन कहते हैं कि उनके संस्थान में हर वर्ष बांसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया आते हैं। उनसे उन्होंने बांसुरी सीखी है।

तारे से बनाया बैंड का नाम
कलाकारों ने बताया कि सप्तऋषि तारामंडल में से एक तारे को मेरोप कहते हैं। उससे ही अपने बैंड का नाम रखा है। वे तीन सालों से एक साथ हैं। देशभर में प्रस्तुति दे चुके हैं। भारत में पहली बार प्रस्तुति देने आए हैं। इंद्र ने कहा कि वे गाती हैं और कन्क्लेस बजाती हैं। जीन बांसुरी प्ले करते हैं।