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माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में अब बाघ लाने की तैयारी शुरू : साल 2023 की पहली तिमाही में आने के आसार

- कूनो नेशनल पार्क में तो अफ्रीका से चीते आने के बाद अब शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में बाघ लाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। माधव नेशनल पार्क में पांच टाइगर लाने की सहमति मिल चुकी है।

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ग्वालियर। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से चीते लाने के बाद अब बाघाें काे शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में लाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में पांच टाइगर लाने की सहमति मिल चुकी है। जिसके बाद से माधव नेशनल पार्क में टाइगर की पुर्नस्थापना के तैयारियां तेजी आ गई हैं।

बताया जाता है कि भोपाल के अधिकारी चाहते हैं कि नवंबर तक यहां टाइगर ले आए जाएं। ऐसे में अनुमान है कि सितंबर के अंत तक वन विभाग की ओर से टाइगर के लिए बनने वाले बाड़े का टेंडर रिवाइज करके जारी किया जाएगा। सप्लाई पूरी होने के बाद करीब 15 दिन का ही समय बाड़े बनने में लगेगा।टाइगर के लिए बनने वाला बाड़ा अन्य की अपेक्षा छोटा होगा, क्योंकि इन्हें बहुत कम समय के लिए ही इसमें रखा जाना है। वहीं जानकारों की मानें तो माधव नेशनल पार्क में साल 2023 की पहली तिमाही में बाघ आ सकते हैं।

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जिसके बाद इनके राष्ट्रीय उद्यान के वातावरण में अभ्यस्त होते ही इन्हें खुले में छोड़ दिया जाएगा। बताया जाता है कि अभी तक 5 टाइगर अलग-अलग चरणों में लाने की तैयारी है, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि वे प्रयास कर रहे हैं कि एक साथ पांच टाइगर यहां बसाए जाएं।

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फ्री-रेंज टाइगर बसने के बाद टाइगर सफारी प्रोजेक्ट पर आगे का काम किया जाएगा। यहां टाइगर आने के बाद ग्वालियर-चंबल संभाग में बिग-3 कैट होंगे। यहां तेंदुए पहले से हैं और चीते भी बसाए जा चुके हैं और इनके बाद अब बाघ आएंगे।

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स्टाफ की ट्रेनिंग जरूरी
ज्ञात हाे कि अभी माधव राष्ट्रीय उद्यान का जो स्टाफ है, वह टाइगर के लिए प्रशिक्षित नहीं है। पहले चरण में जो तीन टाइगर लाए जाने हैं वे प्रदेश की ही टाइगर सफारी से आएंगे। यह संभवत: कान्हा और पन्ना से लाए जाएंगे, जिससे इनके जीन पूल भी अलग-अलग होंगे। इसके लिए पहले स्टाफ काे प्रशिक्षण दिया जाएगा। फिर अलग-अलग सत्रों में स्टाफ को प्रशिक्षण के लिए बाहर भी भेजा जाएगा।

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चीतों के अलावा टाइगर को देखने भी आएंगे पर्यटक
कूनो श्योपुर जिले में है, लेकिन यह शिवपुरी और श्योपुर के लगभग बीच में ही है। ऐसे में जो पर्यटक चीतों को देखने के लिए आएंगे, वे महज 60 किमी का सफर तय कर माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघ भी देख सकेंगे। अभी दिसंबर तक पर्यटक चीते नहीं देख पाएंगे, क्योंकि वे बाड़े में ही रहेंगे। ऐसे में जब चीते पर्यटकों के देखने के लिए उपलब्ध होंगे, उस समय तक माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघ आ भी जाएंगे। इससे कूनो आने वाले पर्यटक यहां भी आएंगे।

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