
Rain Disaster in Gwalior Chambal : बंगाल की खाड़ी में बने डीप डिप्रेशन एरिया से मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल में लगातार हो रही बारिश तबाही मचा रही है। मौसम विभाग के शुक्रवार को सामने आए अपडेट के अनुसार, 4 दिन और क्षेत्र में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है। गुजरे हालातों पर गौर करें तो यहां बीते 42 घंटों में मानों कई इलाकों के लिए आसमान से आफत बरसी है। बारिश के चलते यहां कई गांवों में करीब 4 हजार से अधिक कच्चे मकान ढह गए हैं।
हालात ये हैं कि अंचल में जारी भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से बचाव के लिए सेना बुलानी पड़ी और संभाग भर में फंसे 1500 से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया. अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है. चालीस घंटे से अधिक समय से जारी बारिश ने ग्वालियर-चंबल अंचल को जलमग्न कर दिया है। बाढ़ में 105 गांव पूरी तरह डूब चुके हैं, जबकि 300 से अधिक गांव इससे प्रभावित हैं। 80 से ज्यादा पुल और पुलिया डूब चुके हैं और दर्जनों क्षतिग्रस्त हैं। अंचल के 85 रास्ते बंद हो जाने से कई शहरों का एक-दूसरे से संपर्क टूट गया है।
आपदा में अब तक 17 लोगों की जान जा चुकी है। ग्वालियर जिले में कक्षा 9 का छात्र मनोज जाटव नाले में बह गया था, जिसका शव 24 घंटे बाद मिला। वहीं, सेन्थरी में मुकेश बघेल, कोसा में अमन रावत, और जखारा में उमा बघेल की घर के ढहने से मलबे में दबकर मौत हो गई। ग्राम मेहदपुर में राकेश बघेल की 45 और सूखा पठा में 5 बकरियाँ बहकर मर गईं। आरोली और छोई में पांच गाय और भैंस भी मर गईं।
अंचल में सबसे अधिक मौतें दतिया में हुईं, यहां किले की लगभग 400 साल पुरानी बाहरी दीवार तलहटी में बने तीन मकानों पर आ गिरी। दीवार का 50 फीट हिस्सा गिरने से घर में सो रहे निरंजन (60), उनकी पत्नी ममता (55), बेटी राधा (25), बेटे शिवम (22) और सूरज (18), बहन प्रभा (56), और जीजा किशन की दबकर मौत हो गई। बाहर सो रहे मुन्ना (59) और भांजे आकाश (25) गंभीर रूप से घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
ग्वालियर जिले में बारिश के प्रभाव में 4 की मौत हुई। शिवपुरी के भौंती क्षेत्र मकान का छज्जा गिरने से 1 महिला की मौत हो गई। भिंड के मिहोना और लहार में भी मकान ढहने से 1-1 महिला की मौत हो गई। मौजूदा समय में भी नोन नदी, पार्वती, सिंध नदी उफान पर है। इन नदियों के पानी ने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कहर बरपा दिया है। नदी किनारे बसे लोगों के मकान और खेत पूरी तरह से डूब गए हैं।
प्रशासन, जनपद पंचायत और अन्य विभागों की संयुक्त टीमों ने एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रबंधन दल) ने आदिवासी का पुरा उटीला से 15 लोगों, सासन भितरवार से 38, नंदों का डेरा डबरा से 70, खेड़ीरायमल और सेंकरा डबरा से लगभग 140, गुरुनानक नगर डबरा से करीब 135 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। ग्राम इकहरा तहसील तानसेन से लगभग 50 लोगों को निकाला गया। ग्राम मिलघन और लिधौरा से भी करीब 40 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद भी लगातार अंचल में जारी बारिश और बाढ़ के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। जरूरत पड़ने पर एनडीआरएफ को मदद के लिए बुलाया गया। हालांकि, मौसम की खराबी के कारण हैदराबाद से एनडीआरएफ और हेलीकॉप्टर नहीं आ सके। आखिरकार एसडीआरएफ को ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा। कुछ जगहों पर सेना को सहायता के लिए बुलाना पड़ा। इधर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने हादसों में हताहत हुए लोगों के परिजन को चार-चार लाख रूपए आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है।
ग्वालियर में बाढ़ से सबसे अधिक डबरा और भितरवार प्रभावित हुआ है। डबरा-भितरवार के गांव में पार्वती और नोन नदी में आई बाढ़ ने कहर बरपाया है। वहीं, जो तालाब बीते कई सालों से नहीं भरे थे वो फिलहाल लबालब हो चुके हैं। उनके फूटने की आशंका को देखते हुए ग्रामीणों ने जिले के बाढ़ नियंत्रण केंद्र में सूचित किया है।
ग्वालियर जिले के घाटीगांव के अंतर्गत पाटई नाले में एक व्यक्ति तेज बहाव में बहने की सूचना जिला प्रशासन को मिली। इसके अलावा जखारा ग्राम में एक कच्चा मकान गिरने से उमा बघेल, ग्राम सेंथरी में कच्चा मकान गिरने से मुकेश बघेल और ग्राम कोसा में कच्चे मकान के गिरने से अमन पुत्र धर्मेन्द्र रावत की मौत हो गई।
जिले में अतिवृष्टि से निर्मित हुई जल भराव की स्थिति से प्रभावित गांवों व शहरी क्षेत्र में सेना की भी मदद ली जा रही है। आर्मी केंट मुरार की दो बड़ी टीमें बचाव कार्य में सहयोग के लिए आ गई। एक टीम मुरार क्षेत्र में और दूसरी टीम डबरा क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य में सहयोग करने में जुटी है।
हरसी बांध से भिंड जिले के मौ तक जाने वाली हरसी हाई लेवल नहर में दो जगहों पर क्रेक आ गया है। बरसाती नाले और खेतों का पानी आने से नहर में क्षमता से डेढ़ गुना आवक बढ़ गई है। इससे नहर ओवर फ्लो हो गई है। यही नहीं दो स्थानों पर नहर में क्रेक भी पड़ गए हैं। नहर का पानी नालों में जाने से छीमक पर मेगरा उफान पर आ गया है।
Updated on:
28 Oct 2024 03:35 pm
Published on:
13 Sept 2024 04:55 pm
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