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महीने पांच हजार दस्तावेजों का पंजीयन, पर निरीक्षण 20 संपत्तियों का, जानिए उप पंजीयक कार्यालय में स्टांप ड्यूटी चोरी के तरीके

शिकायत या अज्ञात सूचना पर हर एक साल में हजार से ज्यादा दस्तावेज आ जाते हैं सामने-स्टांप ड्यूटी चोरी की वसूली में ग्वालियर अव्बल

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महीने पांच हजार दस्तावेजों का पंजीयन, पर निरीक्षण 20 संपत्तियों का, जानिए उप पंजीयक कार्यालय में स्टांप ड्यूटी चोरी के तरीके

महीने पांच हजार दस्तावेजों का पंजीयन, पर निरीक्षण 20 संपत्तियों का, जानिए उप पंजीयक कार्यालय में स्टांप ड्यूटी चोरी के तरीके

ग्वालियर. जिला पंजीयन कार्यालय में हर महीने पांच हजार से अधिक दस्तावेजों का पंजीयन होता है। पांच हजार दस्तावेजों में महज दस्तावेजों की संपत्तियों का ही निरीक्षण हो पा रहा है। निरीक्षण का आंकड़ा कम होने की वजह से स्टांप ड्यूटी चोरी पर लगाम नहीं लग पा रही है। वहीं दूसरी ओर स्टांप ड्यूटी चोरी के जो प्रकरण दर्ज हो रहे है। किसी की शिकायत या अज्ञात सूचना के आधार पर आ रहे हैं। एक साल में औसतन एक हजार स्टांप ड्यूटी के केस दर्ज हो रहे हैं। इसके अवाला ग्वालियर स्टांप ड्यूटी चोरी की राशि की वसूली में भी अब्बल है।
दरअसल ई-पंजीकरण व्यवस्था लागू होने के पहले संपत्ति के निरीक्षण के अधिकार उप पंजीयकों को पर थे। उप पंजीयक पहले निरीक्षण करेगा, उसके बाद पंजीयन किया जाएगा, लेकिन सितंबर 2019 में इस नियम को शिथिल किया गया। उप पंजीयक कार्यालय में बैठक दस्तावेज का पंजीयन करेगा, लेकिन दस्तावेज पंजीकृत होने के बाद निरीक्षण वरिष्ठ जिला पंजीयक व जिला पंजीयक करेंगे, लेकिन जिला पंजीयकों दूसरे जिलों का भी प्रभार रहता है। ऐसी स्थिति में संपत्ति का निरीक्षण नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में स्टांप ड्यूटी चोरी बढ़ी है।
स्टांप ड्यूटी चोरी करने के ये तरीके
- कांक्रीट के निर्माण की स्टांप ड्यूटी अधिक लगती है, जबकि पत्थर के निर्माण पर स्टांप ड्यूटी कम लगती है। निर्माण को कांक्रीट की जगह पत्थर का बता दिया जाता है।
- डायवर्सन भूमि को कृषि भूमि बताया जाता है। जिसा उपयोग व्यवसायिक हो रहा है, लेकिन रजिस्ट्री कृषि में पेश की जाती है।
- सडक़ को छिपाते हुए अंदर बताया जाता है। सडक़ से लगी संपत्ति की स्टांप ड्यूटी ज्यादा रहती है। पक्के रास्ते को कच्चा बताया जाता है।
- संपत्ति को दो भागों में बांटा जा रहा है। यदि व्यवसायिक है, तो पहले पिछले हिस्से का पंजीयन कराया जाता है। उसके बाद आगे के हिस्से का।
- मकान दो या तीन मंजिल बना है। एक मंजिल बताकर पंजीयन कराया जा रहा है। जो संपत्तियां बैंक से फायनेंस नहीं है, उनमें यह किया जा रहा है। संपत्ति की पूरी जानकारी नहीं देने पर तीन महीने में छह दस्तावेजों का लाइसेंस भी निलंबित किया गया था।
- निर्माण होने के बाद प्लाट बता दिया जाता है।
इनका कहना है
संपत्ति का निरीक्षण करने जाते हैं तो पूरा दिन लग जाता है। इस कारण महीने में करीब 20 संपत्ति के ही निरीक्षण हो पाते हैं। कार्यालय में स्टाफ की काफी कमी है। आठ उप पंजीयकों की जगह चार उप पंजीयक कार्य कर रहे हैं।
दिनेश गौतम, वरिष्ठ जिला पंजीयक