
ग्वालियर विकास प्राधिकरण में एक और घोटाला, फर्जी आदेश से 148 प्लॉट के आवंटन का हुआ खुलासा
ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 148 प्लॉट का आवंटन आनंद नगर और शताब्दीपुरम योजना में ग्वालियर गृह निर्माण सहकारी समिति को कर दिया गया। यह मामला 22 साल पुराना है, जो आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा जानकारी मांगने पर सामने आया है, इसके बाद प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीरेन्द्र सिंह ने संबंधित सर्वे वाली जमीन पर रजिस्ट्री पर रोक लगाने के लिए उप पंजीयक कार्यालय को कहा है। वहीं अधिकारियों को मामले की 7 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। इससे पहले 150 प्लॉट के आवंटन में गड़बड़ी का मामला सामने आ चुका है, जिसकी जांच ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है।
ग्वालियर विकास प्राधिकरण अपना घर बनाने का सपना देखने वालों के सपने को चकनाचूर कर रहा है। भू-माफिया, अधिकारी, कर्मचारी एवं सहकारी समितियां मिलकर घोटाले करने में लगे हुए हैं, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होने से यह सिलसिला रुक नहीं रहा है।
आरटीआई कार्यकर्ता राकेश सिंह कुशवाह ने आनंद नगर योजना की जानकारी के लिए जीडीए में आवेदन प्रस्तुत कर दस्तावेज प्राप्त किए तो पता चला कि प्राधिकरण के अधिकारियों ने आनंद नगर योजना में ग्वालियर गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित को 251 से 255 तक तथा 271 से 276, 310 के कुल 12 प्लॉट आवंटित किए थे। यह आवंटन सही आवंटन था। बाद में उसी पत्र क्रमांक से उसी दिन 28 अक्टूबर 97 को फर्जी पत्र तैयार कर ग्वालियर गृह निर्माण सहकारी समिति को 148 भूखंड आवंटित कर दिए। इसमें कुछ भूखंड शताब्दी पुरम योजना में भी आवंटित किए गए हैं।
150 प्लॉट के आवंटन में गड़बड़ी की जांच शुरू
आरटीआई कार्यकर्ता राकेश सिंह कुशवाह द्वारा पूर्व में 150 प्लॉटों के आवंटन में हुई गड़बड़ी की राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) को शिकायत की गई थी, जिस पर इस मामले की जांच प्रारंभ हो चुकी है।
एक ही दिन, एक ही नंबर के तीन पत्र से हुआ खुलासा
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ग्वालियर विकास प्राधिकरण के हस्ताक्षर से यह पत्र जारी हुए हैं। तीनों पत्रों पर हस्ताक्षर भी भिन्न हैं। दरअसल, आदेश क्रमांक 97-4229 के द्वारा सबसे पहले 12 भूखंड आवंटित किए गए। इसी पत्र क्रमांक से ग्वालियर गृह निर्माण सहकारी समिति को आनंद नगर व शताब्दीपुरम योजना में 150 प्लॉट आवंटित किए गए। फिर इसी आदेश क्रमांक से 148 प्लॉट आवंटित करने का मामला सामने आया है। यह प्लॉट अलग-अलग साइज के हैं। इनमें 11 गुणा 21 वर्गमीटर के 4 प्लॉट, 11 गुणा 18 वर्गमीटर के 31 प्लॉट, 105 वर्गमीटर वाले 8 प्लॉट, 408 वर्गमीटर वाले 7 प्लॉट तथा अन्य प्लॉट शामिल हैं।
जांच के बाद होगी स्थिति स्पष्ट
इस मामले की 7 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं, इसके बाद ही वस्तुस्थिति का पता चल सकेगा। फिलहाल संबंधित सर्वे नंबर पर रजिस्ट्री करने पर रोक लगा दी गई है।
वीरेन्द्र सिंह, सीईओ जीडीए
व्यापमं से बड़ा घोटाला, सीबीआई करे जांच
जीडीए में जमीन के घोटालों की सीबीआई से जांच कराना आवश्यक हो गया है। यहां के घोटाले व्यापमं से बड़े हैं। अब तक की जांचों के कोई परिणाम सामने नहीं आए हैं। इन मामलों को दबा दिया जाता है, इसलिए जांच केन्द्रीय एजेंसी को दी जाए।
राकेश सिंह कुशवाह, आरटीआई कार्यकर्ता
Published on:
28 Jun 2019 12:35 pm
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