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हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में गड़बड़ी पर की गंभीर टिप्पणी…आप भी इसे पढक़र हैरान रह जाएंगे

हाईकोर्ट ने पूछा - एक कमरे में कॉलेज, कक्षाएं लगी नहीं, जिनको बीपी नापना नहीं आता वो अस्पताल में क्या करेंगे, कोरी डिग्री बांटने से क्या फायदा

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Gwalior high court

Hearing on nursing exam of Madhyapradesh Medical University

ग्वालियर. हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक हटाने के आवेदन पर मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रबंधन को जमकर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने पूछा, रोक किस आधार पर हटाएं, कोई एक वाजिब कारण हो तो बताएं। एक-दो कमरे में कॉलेज चल रहे हैं, कक्षाएं लगती नहीं, सिर्फ प्रवेश देकर परीक्षा में बैठाया जाता है। ऐसे में परीक्षा कराने की अनुमति कैसे दे सकते हैं। कोरी डिग्री बांटने से क्या फायदा। अस्पतालों में 85 फीसदी स्वास्थ्य सेवाएं नर्सिंग छात्र ही संभालते हैं। कभी सोचा है कि अब जिनको ब्लड प्रेशर नापना नहीं आता उनको अस्पतालों में पदस्थ किया जाएगा तो क्या नतीजे होंगे।
हाईकोर्ट ने बीएससी नर्सिंग, बीएससी पोस्ट बेसिक, एमएससी नर्सिंग की परीक्षा पर रोक लगा रखी है। इस पर मेडिकल यूनिवर्सिटी की तरफ से महाअधिवक्ता प्रशांत सिंह ने युगलपीठ में आवेदन पेश किया गया था। याचिकाकर्ता दिलीप कुमार शर्मा ने अनुसार, कोर्ट ने कहा यह पीआईएल आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़ी है, इसलिए इसका निराकरण होना चाहिए। मनमर्जी से नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दे दी गई। इनको कोर्ट का भी डर नहीं। कोर्ट ने कहा, नर्सिंग मामले में जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच चल रही है फिर बीच में कैसे इन कॉलेजों की परीक्षा कराई जा सकती है। मान्यता संबंधी सभी दस्तावेज अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 21 अप्रेल को होगी।
नर्सिंग की पुराने सत्र की मान्यता को लेकर PIL

Madhyapradesh में 28 फरवरी-23 से नर्सिंग परीक्षाएं शुरू होने वाली थी लेकिन परीक्षाओं से ठीक 24 घंटे पहले हाईकोर्ट ने इन परीक्षा पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ता दिलीप कुमार शर्मा ने जनहित याचिका प्रस्तुत की थी। इसमें नर्सिंग कॉलेजों को गलत तरीके से मान्यता देने का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने बीएससी नर्सिंग, बीएससी पोस्ट बेसिक, एमएससी नर्सिंग की परीक्षा पर रोक लगा दी थी। जिसमें याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि नर्सिंग कॉलेजों में पुराने शिक्षण सत्र की मान्यता गलत तरीके से दी गई है।