
Krishna Janmashtami 2020 : राधा-कृष्ण को पहनाए 50 करोड़ों के जेवरात, देखें वीडियो
ग्वालियर। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण का विशेष श्रंगार आकर्षण का केंद्र रहता है। इस बार भी भगवान को पचास करोड़ से अधिक कीमत के गहनों से श्रंगार किया गया। इसे देखने हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन कोरोना काल के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ सीमित रखी गई है।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में बुधवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राधा-कृष्ण को करोड़ों की कीमत वाले बेशकीमती जेवरात पहनाए गए। इस दौरान राधा कृष्ण की मूर्ति का श्रंगार, राधाकृष्ण के हीरे जवाहरातों से जड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार, 249 शुद्ध मोतियों की माला, हीरे में जड़े कंगन, हीरे और सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र ,50 किलो के चांदी के बर्तन सहित अभूषणों से हुआ श्रंगार और हीरे जवाहरातों से भगवान राधा कृष्ण को सजाया गया। इन जवाहरातों की कीमत 50 करोड़ से अधिक की बताई जाती है।
वहीं जेवरातों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से 200 से ज्यादा जवान तैनात किए गए थे। साथ ही सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच भगवान के करोड़ों की कीमत वाले बेशकीमती जेवरात लॉकर से मंदिर में लाए गए। जेवरात पहनाने की ये परंपरा सिंधिया राजवंश द्वारा गोपाल मंदिर का निर्माण कराकर यहां राधे-श्याम की मूर्तियां स्थापित कराई गयी थीं। यह बेशकीमती ज्वैलरी सिंधिया राज्य के दौरान राधा-कृष्ण को पहनाई जाती थी। गोपाल मंदिर शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक है।
वहीं राधाकृष्ण के श्रृंगार को देखते हुए जन्माष्टमी पर 2007 में नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन और पुलिस प्रशासन ने मंदिर में व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने के निर्देश दिए और इसकी शुरूआत की गई थी। तभी से अब हर वर्ष जन्माष्टमी के दिन नगर निगम की ओर से जेवरातों को बैंक से निकाला जाता है और भगवान को पहनाकर श्रंगार किया जाता है। जन्माष्टमी पर इस वर्ष कोविड-19 के संक्रमण की संभावना को देखते हुए भक्तगण सीधे दर्शन न करके एलइडी और फेसबुक के माध्यम भगवान राधा-कृष्ण के मनोहारी स्वरुप के दर्शन कर किए गए।
यह है मंदिर का इतिहास :-:
गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है। उस समय सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर दर्शन को आते थे। उस समय भगवान राधाकृष्ण को इन जेवरातों से सजाया जाता था। आजादी के बाद मध्यभारत की सरकार बनने के बाद गोपाल मंदिर, उससे जुड़ी संपत्ति जिला प्रशासन व निगम प्रशासन के अधीन हो गई है।
नगर निगम ने इन जेवरातों को बैंक लॉकर में रखवा दिया। वर्षों तक ये लॉकरों में रखे रहे। इसके बाद साल 2007 में डॉ. पवन शर्मा ने निगमायुक्त की कमान संभाली। उन्होंने निगम की संपत्तियों की पड़ताल कराई,उसमें इन जेवरातों की जानकारी मिली। उसके बाद तत्कालीन महापौर अैर वर्तमान में सांसद विवेक शेजवलकर और निगमायुक्त ने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को इन जेवरातों से श्रृंगार कराने की परंपरा शुरू कराई। उसके बाद से आयुक्त इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।
यह है राधा-कृष्ण के जेवरात :-:
इन जेवरातों में हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट,पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार, 249 शुद्ध मोती की माला,हीरे जडे कंगन,हीरे व सोने की बांसुरी,प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र, 50 किलो चांदी के बर्तन, भगवान श्रीकृष्ण व राधा के झुमके,सोने की नथ,कंठी,चूडियां,कड़े समेत अन्य बहुत सा सामान शामिल हैं। वहीं जेवरातों की बाजार दर काफी अधिक होने के कारण जन्माष्टमी के दिन यहां भारी संख्या में जवान तैनात किए जाते हैं। साथ ही यहां राधाकृष्ण के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त आते हैं। लेकिन इस बार कोरोना के चलते प्रशासन से सख्त है और फेसबुक व एलईडी से ही दर्शन कराने की व्यवस्था की गई है।
Published on:
12 Aug 2020 04:12 pm
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