इस साल 2 सितंबर, रविवार को रात 8 बजकर 48 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है। निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार, जब भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में आधी रात यानी बारह बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हों, तब श्रीकृष्ण जयंती योग बनता है ।
धार्मिक आस्था है कि कृष्ण जयंती योग के समय व्रत और उपवास रखना बहुत ही शुभ होता है। यही वजह है कि कान्हा के जन्म से एक-दो दिन पहले ही लोग व्रत और उपवास करना शुरू कर देते हैं। व्रती लोग कन्हैया के जन्म के समय तक लगातार भजन-कीर्तन करते रहते हैं। फिर रात बारह बजे कान्हा के अवतरण समय के बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं और फिर अगले दिन सूर्य को जल देकर भोजन करते हैं ।
सनातन धर्म में इस योग को बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसे में इस मुहूर्त में जन्मे बच्चों को बहुत भाग्यशाली और परिवार का नाम रोशन करनेवाला माना जाता है। कहते हैं इस दुर्लभ योग में जन्म लेनेवाले बच्चों पर सदैव प्रभु की कृपा बनी रहती है ।