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पर्यावरण की रक्षा का संदेश देता है आखिरी बुध

दरगाह हजरत ख्वाजा खानून पर हुआ आखिरी बुध का आयोजन

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पर्यावरण की रक्षा का संदेश देता है आखिरी बुध

पर्यावरण की रक्षा का संदेश देता है आखिरी बुध

ग्वालियर. आखिरी बुध को बाग बगीचों में सैर की रस्म हमारे पर्यावरण की रक्षा का सन्देश देती है। हमें प्रकृति के इन नायाब तौहफों की हिफाजत करने की सीख देते हैं। हमें अपने शहर के पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए शहर के बाग-बगीचों की हिफाजत करनी चाहिए। यह विचार दरगाह हजरत ख़्वाजा खानून के सज्जादा नशीन हजरत ख्वाजा राशिद खानूनी ने दरगाह पर हुए आखिरी बुध के समारोह में मौजूद जायरीनों को संबोधित करते हुये व्यक्त किए। दरगाह के नायब सज्जादा नशीन डॉ.एजाज खानूनी ने कहा कि आखिरी बुध को दरगाह में मनाने से तीन गुना फायदा होता है। आखिरी बुध की रस्म के साथ-साथ दरगाह शरीफ की जियारत होती है, मीलाद शरीफ में तकरीर और दुआ का फायदा होता है और सबसे बड़ा फायदा कदम शरीफ की जियारत का होता है जो सिर्फ दरगाह में ही है जिसकी जियारत भी बर्ष में एक बार सिर्फ आखिरी बुध को ही होती है। आखिरी बुध का आगाज कदम शरीफ की जियारत से हुआ। कदम शरीफ को दूध से गुसल दिया जाकर दूध को तबर्रुक के रूप में बांटा गया। हाफिज हाशिम रजा ने कुरान ख्वानी की। हाफिज फिरासत, हाफिज अब्दुल रशीद, हाफिज गुफरान ने साथियों सहित मीलाद पेश की। मेले में तमाम दिन कदम शरीफ की जियारत हुई। दरगाह की ओर से आम लंगर का आयोजन किया गया। इस मुबारक दिन दरगाह के सज्जादा नशीन साह खास तरीके के चमत्कारी चाँदी के छल्ले सिद्ध करते हैं जो तमाम परेशानियों से निजात दिलाने में मददगार साबित होते हैं। दरगाह में शहर से भारी संख्या में आकर जायरीन ने आखिरी बुध मनाया।