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अमीर बनने दोस्तों की टोली दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक छापती थी नकली नोट

-फोटोग्राफर ने दोस्त के साथ जमाया नकली नोट बनाने का धंधा - पान की गुमटी पर 100 रू ,सब्जी और शराब की दुकान पर चलाते थे 500 का नोट

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4 hours work, then the business of consumption

अमीर बनने दोस्तों की टोली दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक छापती थी नकली नोट

ग्वालियर। अमीरों की जिदंगी बिताने के लिए फोटोग्राफर और उसके जिगरी दोस्त ने नकली नोट छापने का धंंधा जमा लिया। इसके लिए लश्कर की घनी बस्ती को चुना जहां दोनों को कोई नहीं पहचानाता था। रोज कम से कम नौ हजार रू छापने और इतने ही नोट बाजार में खपाने का टारगेट रखा। नोट की कीमत के हिसाब से दुकाने तय कीं जहां भीड़ की आड़ में उन्हें आसानी से खपा सकें।

नकली नोट छापने का धंधा मनोज पुत्र रामप्रसाद कुशवाह और उसका दोस्त बृजकिशोर उर्फ बंटी कुशवाह चला रहे थे। मनोज पुरानी छावनी में रहता है और पेशे से फोटोग्राफर है। बंटी का घर अशोक कॉलोनी थाटीपुर में है। मनोज पेशे से फोटोग्राफर है।

इसके अलावा स्केनिंग के काम में भी माहिर है। लेकिन जिस पेशे में है उसमें ज्यादा कमाई नहीं है। मनोज की हसरत अमीरी की जिदंगी बिताने की है। इसलिए नकली नोट छापने का प्लान बनाया। अकेले काम करना बूते का नहीं था इसलिए जिगरी दोस्त बृजकिशोर उर्फ बंटी को शामिल किया। उसे भी लालच दिया कि धंधे में रोज कम से कम 5 हजार रूपए की कमाई होगी।

9 हजार के नोट छापने, 4 हजार रूपए किराए का कमरा

मनोज और बंटी को डऱ था कि अपनी बस्ती में नोट छापेंगे तो जल्दी लोगों की नजर में आ जाएंगे। इसलिए 20 दिन पहले कृष्णा कॉलोनी गुढा, माधौगंज में 4 हजार रू महीने किराए पर कमरा लिया। वहां नकली नोट छापने का पूरा सेटअप जमाया। मनोज नकली नोट छापता था। उसे खपाने का काम बंटी का था। एक दिन में कम से कम 100 रू के 40 और पांच सौ रूपए के 10 नोट छापने का टारगेट रखा था।
यहां चलाते थे नकली करेंसी, असली जेब में

जालसाजों ने पुलिस को बताया उन्हें पता था बड़ा नोट चलाना मुश्किल होगा। इसलिए 100 और 50 रू के नकली नोट ज्यादा छापे। इन्हें चलाने के लिए किराना, चाय की गुमटी, पान की उन दुकानों को चुनते थे जिन पर बुजुर्ग, बच्चे या महिलाएं बैठी हों। उन्हें 100 रूपए का नकली नोट थमा कर 20 से 30 रूपए का सामान लेते। खुल्ले में जो पैसा वापस मिलता वह असली नोट होते थे उन्हें जेब में डालते। 500 रू का नकली नोट सब्जी, शराब की दुकान और पेट्रोल पंप को चुनते थे।
4 घंटे काम, फिर खपाने का धंधा

पूछताछ में दोनों आरोपियों ने खुलासा किया नोट छापने के लिए शैडूल्य तय था। दोनों रोज दोपहर को कृष्णा कॉलोनी में ठिकाने पहुंचते थे। शाम चार बजे तक असली नोट को स्कैन कर नकली छापते। फिर उन्हें खपाने का काम करते थे। रात करीब 8 बजे तक नकली नोट खपाते थे।
यह सामान बरामद, नकली नोट मिले

आरोपियों से 500 रूपए के 12 नकली नोट और 100 रूपए के 11 नोट सहित कुल 7100 रू के अलावा प्रिंटर , डेस्कटॉप , दो बैग, कीबोर्ड , यूपीएस, स्केनर बॉंड पेपर एक पैकेट मिला है।
पुलिस के सामने बनाया नकली नोट

दोनों आरोपियों को गुरूवार शाम पुलिस ने दबोचा उनसे पूछा कि नकली नोट कैसे बनाते हो तो आरोपियों ने मनोज कुशवाह ने पांच मिनट में 100 रू का नकली नोट छापकर पुलिस के हाथ में थमा दिया। उसने खुलासा किया नोट छापने के लिए बॉड पेपर का इस्तेमाल करता है। क्योंकि इस कागज की परत मोटी होती है। रंग हल्का क्रीम होता है। उस पर नोट का प्रिंट बिल्कुल असली जैसा आता है।
मीडिया का आईडी कार्ड

आरोपी मनोज कुशवाह से दतिया के प्रेस की आइडी भी मिली है। पुलिस का कहना है आरोपी के बारे में पता लगाया जा रहा है उसने आईडी कहां से हासिल की। इससे पहले दतिया में भी नकली नोट का धंधा तो नहीं चला चुका है।
इस टीम की भूमिका

कृष्णा कॉलोनी में नकली नोट बनाने का धंधा चल रहा है मुखबिर से क्राइम ब्रांच को इनपुट मिला था। इस पर क्राइम ब्रांच सीएसपी केएम सियाज की अगुवाई में एएआई दिनेश तोमर आरक्षक राहुल यादव, विकास सिंह, योगेन्द्र तोमर और आशीष शर्मा की टीम ने आरोपियों को दबोचा।