
4 महीने में 2500 से ज्यादा बदले गए कारबेटर, हर दिन हो रहे प्लग शॉर्ट, कारण बना इथेनॉल मिला पेट्रोल
श्योपुर। शहर और अंचल में एथेनॉल मिले पेट्रोल से बीते 4 महीने में 2500 से ज्यादा कारबेटर बदले जा चुके हैं। हर दिन प्लग शॉर्ट होने की समस्या भी सामने आ रही है। शहर के वाहन मैकेनिक वाहनों मेें आ रही इस खराबी की वजह पेट्रोल को में मिलाए जा रहे एथेनॉल को मान रहे हैं। मैकेनिकों का कहना है कि हर दिन टंकियों से सात से आठ लीटर पानी निकालना पड़ रहा है। वजह यह है कि थोड़ा सा भी मॉइश्चर टंकी में जाता है तो पेट्रोल में मिला एथेनॉल पानी में बदल जाता है। यह पेट्रोल कारबेटर में पहुंचकर एल्यूमिनियम के साथ रियेक्शन करके परत जमा रहा है, जिसकी वजह से कारबेटर भी खराब हो रहे हैं। इस मामले में पेट्रोल पंप संचालक सामने आकर कुछ भी नहीं कहना चाहते लेकिन यह स्वीकार रहे हैं कि डिपो से आ रहे पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लैंडिंग सही तरीके से नहीं हो रही जिसकी वजह से ज्यादा समस्या आ रही है। अगर सही ब्लैंडिंग हो तो 80 फीसदी तक वाहनों की समस्या कम हो जाएगी।
इसलिए आ रही ज्यादा समस्या
-शहर में दो पहिया वाहन सुधारने की लगभग 100 दुकानें हैं और 150 से अधिक मैकेनिक काम कर रहे हैं।
-सर्दी के सीजन में अगर दो पहिया या चार पहिया वाहन घर के बाहर खड़े हों और ओस गिरे तो टंकी में मॉइश्चर पहुंचने की संभावना रहती है।
-डोपिंग के साथ आने वाला एथेनॉल और पेट्रोल का मिश्रण पानी के संपर्क में आते ही पानी में बदल जाता है।
-पानी के रूप में बदला एथेनॉल कारबेटर में पहुंचने के बाद एल्यूमिनियम से रियेक्ट करके परत बना देता है।
-इससे एल्यूमिनियम वॉल पर धब्बे आ जाते हैं और कारबेटर के महीन छेद बंद हो जाते हैं।
-इंजन के अंदरूनी पुर्जे भी सफेद निकल रहे हैं या फिर परत जमी हुई निकल रही है।
यहां से है थोक सप्लाई
-पंपों पर भेजने से पहले कंपनी की डिपो में पेट्रोल और एथेनॉल को आपस में मिलाया जाता है। संभाग की सप्लाई ग्वालियर के रायरू स्थित डिपो से होती है। कुछ पंपों की सप्लाई इंदौर से भी है।
इस तरह मिल रही एथेनॉल
डोपिंग
-पेट्रोल के टैंक में एथेनॉल मैनुअल तरीके से डालकर मिलाया जाता है। इस तरीके से एथेनॉल और पेट्रोल के अणु आपस में नहीं मिल पाते और वाहन में पहुंचने पर ज्यादा खराब परिणाम देने की संभावना रहती है।
ब्लैंड
-इथेनॉल पेट्रोल से भारी होता है। इसको तकनीकी रूप से ब्लैंड करने के लिए पेट्रोल और एथेनॉल को अच्छे तरीके से मिक्स करके ब्लैंड करना जरूरी है। अगर सही तरीके से और सही अनुपात में ब्लैंड किया जाए तो 80 फीसदी तक वाहन के कारबेटर सुरक्षित रहने की संभावना रहती है।
परिणाम
-अगर ब्लैंडिंग की बजाय पेट्रोल में एथेनॉल की डोपिंग होगी तो यह पानी के संपर्क में आते ही तुरंत पानी में बदल जाएगा। लेकिन अगर सही तरीके से ब्लैंडिंग हो तो इसके अणु काफी हद तक पेट्रोल के साथ मिले रहते हैं।
वजह
-एथेनॉल पेट्रोल से भारी होता है, अगर सही तरीके से ब्लैंड न हो तो एथेनॉल नीचे बैठ जाएगा और जैसे ही पानी के संपर्क में आएगा यह पूरी तरह से पानी में परिवर्तित हो जाएगा।
इतनी है खपत
-श्योपुर शहर में 10 हजार लीटर और अंचल में भी 10 हजार लीटर पेट्रोल प्रतिदिन खपत है।
शहर में सप्लाई
-इंडियन ऑयल के पंप से 4 हजार लीटर
-नायरा के पंप से 3 हजार लीटर
-रिलायंस के पंप से 1 हजार लीटर
-बीपीसीएल के पंप से 3 हजार
वर्सन
-हमारे पास सभी तरह के दो पहिया वाहन सर्विस के लिए आते हैं। इस समय सबसे ज्यादा दिक्कत कारबेटर में आ रही है। प्लग शॉर्ट हो रहे हैं। सफेद परत जम जाती है, जिससे कारबेटर के छेद बंद हो जाते हैं और इंजन काम करना बंद कर देता है।
ओमप्रकाश गौड़, वाहन मैकेनिक
-हमारे पास सबसे ज्यादा बुलट मोटरसायकल आती हैं। वर्तमान में जो गाडिय़ां सर्विसिंग के लिए आ रही हैं, उनके कारबेटर खराब निकल रहे हैं। पेट्रोल की वजह से यह प्रॉब्लम आ रही है।
दीनू उस्ताद, वाहन मैकेनिक
-पेट्रोल की वजह से वाहनों के प्लग शॉर्ट होना, मिसिंग करने की समस्या ज्यादा आ रही है। लगभग हर बाइक और स्कूटर का कारबेटर खोलना पड़ रहा है। इतनी मेहनत पूरी सर्विस में नहीं लगती, इससे ज्यादा कारबेटर को खोलने और साफ करने में लग रही है।
अख्तर खान, वाहन मैकेनिक
-स्कूटी से ज्यादा समस्या बाइक में आ रही है। लगभग हर दूसरी बाइक के कारबेटर में एल्यूमिनियम के ऊपर सफेद परत जमी निकल रही है, इससे कारबेटर खराब हो रहे हैं।
शाहरुख खान, वाहन मैकेनिक
Published on:
10 Jan 2023 11:46 pm
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