गंगा प्रसाद शर्मा कैलादेवी मंदिर (करौली माता) महलगांव के वारिस संजय शर्मा व दिलीप शर्मा एवं अन्य ने व्यवहार न्यायाधीश के यहां दावा पेश किया। इस दावे में 35 पक्षकार बने। उनकी ओर से दावे में तर्क दिया गया कि राजस्व अभिलेख में उनकी जमीन पर पीडब्ल्यूडी का नाम अवैध रूप से दर्ज कर दिया गया है। वादग्रस्त भूमि 1933 में हीरालाल शर्मा को दी गई थी। इस जमीन पर हीरालाल के वंशज खेती करते थे। जब जमीन का बंटवारा किया गया तो तहसील न्यायालय में पता चला कि उनकी जमीन पर पीडब्ल्यूडी का नाम दर्ज कर दिया है। तत्कालीन व्यवहार न्यायाधीश संजय शर्मा ने गंगा प्रसाद शर्मा के वारिसों के नाम डिक्री कर दी। इसके बाद 315 बीघा जमीन पर कलेक्ट्रेट के सामने विद्या विहार के नाम से कॉलोनी विकसित कर दी। हाईकोर्ट ने 15 मार्च-2019 को डिक्री के आदेश पर रोक लगा दी थी। डिक्री पर रोक होने से जमीन अभी सरकारी है। न इस जमीन पर निर्माण किया जा सकता है और न ही विक्रय।
सब आंख मूंदे रहे और ऐसे बिकते गए प्लॉट
- विद्या विहार को जीडीए के माध्यम से विकसित कराया गया। जब कॉलोनी में प्लॉट बेचे गए, उसमें कॉलोनी जीडीए की बताई गई। जबकि जीडीए से सिर्फ कॉलोनी को विकसित कराया गया। सड़क, सीवर लाइन, बिजली का काम कराया।
- विद्या विहार के बीच से होते हुए एक नाला गुजरता है। इस नाले पर भी मकान बनने लगे हैं। यदि भारी बारिश होती है तो बाढ़ की स्थिति बन सकती है।
- विद्या विहार की 315 बीघा जमीन के सर्वे नंबर कुलसचिव बंगले की दीवार से शुरू होते हैं, जो सिरोल पहाड़ी तक हैं।
इस मामले में संज्ञान लिया जाएगा
चुनाव में व्यस्तता थी। विद्या विहार की जमीन का मामला पुराना है। इस मामले को संज्ञान लिया जाएगा। राजस्व अधिकारियों को भेजकर इस जमीन से निर्माण रुकवाए जाएंगे।
रुचिका चौहान, कलेक्टर