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कोर्ट आदेश के बाद भी एक्शन नहीं: जहां से आता था पानी, वहां बना दिए मकान, खत्म हो रहा हनुमान बांध

शहर को जल संकट से बचाने वाला हनुमान बांध भू माफियाओं के संकट से जूझ रहा है। बांध के चारों ओर हुए अतिक्रमण ने

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ग्वालियर। शहर को जल संकट से बचाने वाला हनुमान बांध भू माफियाओं के संकट से जूझ रहा है। बांध के चारों ओर हुए अतिक्रमण ने बांध का दम घोंट दिया है। इसके चारों ओर हुए निर्माण कार्यों ने कैचमेंट एरिया के पानी के बहाव को खत्म कर दिया है। इसके चलते साफ पानी बांध में जाने की जगह लोगों के घरों का सीवर का पानी नालियों के जरिए बांध में जा रहा है। वहीं मुख्य ट्रंक लाइन के चैंबर आदि के टूट जाने से भी बांध का पानी दूषित हो रहा है।

बांध को भरने वाली लिंक नहर जो बारह बीघा, सैनिक कॉलोनी से होते हुए आती है वह भी जगह-जगह संकरी हो गई है। गंदगी भरने यहां भी सीवर का पानी छोड़ा जा रहा है। इसके चलते बारह बीघा के पिछले हिस्से में पहाड़ी क्षेत्रों का पानी भी बांध में आकर दूषित हो रहा है। इन सबके बाद भी अगर पानी भरा रहे तो लश्कर दक्षिण क्षेत्र के कई वार्डों का जल स्तर बढ़ सकता है, लेकिन भू माफिया और अतिक्रमण करने वाले बरसात में बांध के गेट खुलवा देते हैं, या सीवर लाइन के चैंबरों को फोड़ देते हैं, इसके चलते बांध में भरने वाला पानी स्वर्ण रेखा से होते हुए शहर से बाहर चला जाता है।

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300 से अधिक अतिक्रमण चिह्नित: आसपास के लोग बारिश के दिन में बांध के गेट खोल या तोड़ देते हैं जिससे पानी स्वर्ण रेखा में बह जाता है

इतिहास: स्वर्ण रेखा नदी में आने वाली बाढ़ से शहर को बचाने के लिए और पानी को सहेजने के लिए हनुमान बांध का निर्माण रियासत के समय १९०० से १९३० के बीच हुआ। यहीं से शहर में स्वर्ण रखा की शुरुआत होती है।

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निगम का बढ़ा खर्च
बांधों के खाली रह जाने से लश्कर दक्षिण के कई वार्ड जिसमें वार्ड ५१, ५३, ३५, ४८, के साथ ही शिंदे की छावनी तक का एरिया बांध से लिंक भूमिगत नहरों से सीधे तौर पर रीचार्ज होता था। इन वार्डों में कई स्थानों पर ७०० फीट तक जल स्तर उतर गया है। निगम हर साल करोड़ों रुपए बोरिंग पाइप बढ़ाने, टैंकर संचालन, विद्युत व्यय पर खर्च करने पड़ रहे हैं। निगम ने अतिक्रमण हटाने के लिए अपनी मशीनरी देने की बात कही, लेकिन जिला प्रशासन के अफसरों ने निर्णय को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

कोर्ट का आदेश

दो साल पहले जल संकट पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बांध, कुएं और बावडि़यों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के आदेश दिए थे, लेकिन इसका आज तक पालन नहीं हुआ।

प्रशासन की भूमिका
जल संसाधन विभाग द्वारा अतिक्रमण करने वाले ३०० से अधिक लोगों को नोटिस जारी किए गए। जिला प्रशासन से अतिक्रमण हटाने की मांग की, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया।

परेशान शहर
बांधों के सूख जाने से इसका असर पूरे शहर पर पड़ रहा है। जल संकट के चलते एक दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है। दो दिन छोड़कर पानी देने के भी हालात बन रहे हैं।प्रशासन की चुप्पी से बांध क्षेत्र में सक्रिय भू माफियाओं को सीधे तौर पर लाभ हो रहा है। वह अब भी जमीनों की खरीद फरोख्त का धंधा कर रहे हैं।

योजना बना रहे हैं
बांधों को संरक्षित करने पीएचई और जिला प्रशासन योजना बना रहे हैं। जल्द ही कार्रवाई की उम्मीद है।
विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम

हम तैयार हैं
हम मौलिक निधि देने को तैयार हैं। बांध का संरक्षण हो तो पूरा लश्कर क्षेत्र जल संकट से बच जाएगा।
हरिपाल, पार्षद कांग्रेस

अफसर गंभीर नहीं
पार्षदों ने कलेक्टर, संभागायुक्त, आयुक्त को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की, अफसर गंभीर नहीं हैं।
सतीश बोहरे, एमआइसी सदस्य नगर निगम

हटे अतिक्रमण
बांध से तत्काल अतिक्रमण हटाकर उसमें पानी भरने के इंतजाम अभी से हो ताकि वर्षा का पानी रुक सके।
राकेश माहौर, सभापति नगर निगम