
What to do first in case of electrocution. माधव इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की ओर से इलेक्ट्रिक शॉक: प्रिवेंशन एवं क्योर विषय पर अवेयरनेस प्रोग्राम हुआ। इसमें प्राध्यापक डॉ शिशिर दीक्षित एवं डॉ निखिल पालीवाल ने बिजली के झटके से बचाव के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को करंट लगा है, उसे न हिलाएं। जहां से बिजली आई, कोशिश करें कि उस सोर्स को बंद कर दें। अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो फिर व्यक्ति से उस तार को लकड़ी की मदद से दूर करें। इलेक्ट्रिक तार से एक बार व्यक्ति दूर हो जाए, उसके बाद उसकी सांसें चेक करें और देखें कि धडकऩ है या नहीं।
वोल्टेज पर डिपेंड करता है इलेक्ट्रिक शॉक की गंभीरता
बिजली के वायर, घर में इस्तेमाल होने वाले उपकरण, किसी मशीन, बिजली कडकऩे के कारण जब शरीर में इलेक्ट्रिसिटी प्रवेश करती हैं, तो इसे इलेक्ट्रिक शॉक कहते हैं। इलेक्ट्रिक शॉक कितना गंभीर है यह इस बात पर निर्भर करता है शॉक किस तरह का और कितने वोल्टेज का है। इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से शरीर जल भी सकता है या शरीर पर परमानेंट निशान छोड़ देता है।
असमान्य हार्टबीट सहित कई परेशानियां आ सकती हैं
इलेक्ट्रिक शॉक से सांस लेने में परेशानी, सिरदर्द, सुनने और देखने में परेशानी, जलना, दौरे आना, असमान्य हार्टबीट, मांसपेशियों की ऐंठन, सुन्न होना या झुनझुनी आना आदि समस्याएं हो सकती हैं। इससे कंपार्टमेंट सिंड्रोम की भी समस्या हो सकता है। ऐसा तब होता है जब मांसपेशियों को हुई क्षति के कारण लिंब में सूजन हो जाए। हालांकि कंपार्टमेंट सिंड्रोम के लक्षण इलेक्ट्रिक शॉक के तुरंत बाद नजर नहीं आते हैं, इसलिए शॉक लगने के बाद अपने बांह और पैरों पर नजर रखें।
Updated on:
25 Apr 2023 06:14 pm
Published on:
25 Apr 2023 06:13 pm
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