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गबन के पैसों से खरीदी कार जब बन गई किसी के जी का जंजाल

सरकारी पैसे के गबन से खरीदी कार के मामले में हाईकोर्ट ने कहा- रिवीजन कोर्ट ने आदेश देने में गलती की है, इसलिए दुबारा सुना जाए

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Highcourt_Gwalior_Madhyapradesh

High Court said- Revision Court has made a mistake in giving the order, hence it should be heard again

ग्वालियर . Gwalior highcourt की एकल पीठ ने कहा कि रिवीजन कोर्ट बिना दस्तावेज परीक्षण के आदेश पारित किया है। इसलिए दोनों आदेश निरस्त किए जाते हैं और फिर से तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित करें। दरअसल याचिकाकर्ता ने 24 ऑनलाइन कार पोर्टल से 31 लाख रुपए कार खरीदा था, लेकिन बाद में पता चला कि वह कार गबन के मामले में पुलिस के पास जब्त है।
Indore निवासी ललित वर्मा ने 24 ऑनलाइन कार बाजार से 45 लाख की कार 31 लाख रुपए में खरीदी थी। वाहन खरीदने के बाद आरटीओ में कार हस्तांतरित हो गई, लेकिन कुछ दिन बाद पता चलता है कि यह कार शैलेंद्र परमार की थी। उसे सरकारी राशि के गबन के पैसे खरीदा गया था। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने गाड़ी को जब्त कर लिया। कार छुड़ाने के लिए ललित ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन दायर किया। इस कोर्ट से आवेदन खारिज होने के बाद रिवीजन कोर्ट में आवेदन दायर किया। यहां से भी आवेदन खारिज हो गया। इसके चलते हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने फिर से मामले पर सुनवाई का आदेश दिया है।

Shivpuri : कर्मकार मंडल में पंजीकृत श्रमिकों की राशि से ऑपरेटर ने खरीदी

दरअसल शिवपुरी जिले के संनिर्माण कर्मकार मंडल में पंजीकृत श्रमिकों के लिए अनुग्रहीत राशि आई थी। जनपद पंचायत के तत्कालीन सीईओ गगन वाजपेयी व राजीव मिश्रा, कंप्यूटर ऑपरेटर शैलेंद्र परमार, शाखा प्रभारी साधना चौहान ने राशि की भूमिका संदिग्ध पाई गई। कोतवाली थाने ने केस दर्ज कर शैलेंद्र को गिरफ्तार किया। उसने बताया कि 94 लाख रुपए में से उसने 45 लाख व 20 लाख रुपए की कार खरीदी थी। पुलिस ने इसके आधार पर 45 लाख रुपए की कार को जब्त किया गया।