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तो क्या शहर बन जाएगा ड्रायजोन?

मानसून की बेरुखी  धरती की कोख और खाली कर सकता है। भू-जल संकट के लिहाज से प्री-मानसून भू-जल सर्वेक्षण रिपोर्ट गंभीर संकट की ओर इशारा ...

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Avdesh Shrivastava

Jul 30, 2017

Dryzone

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ग्वालियर.मानसून बेरुखी धरती की कोख और खाली कर सकता है। भू-जल संकट के लिहाज से प्री-मानसून -जल सर्वेक्षण रिपोर्ट गंभीर संकट की ओर इशारा पहले ही कर चुकी थी। अब मानूसन सीजन का आधा वक्त बीत चुका है। औसत की करीब 20 फीसदी ही बारिश हुई है। अगर शहर की बात करें तो यह मात्रा केवल 90 एमएम से भी कम है। जाहिर है कि मानसून बेरुखी भू जल संकट को और चरम पर पहुंचाने वाली है। शहर पर ड्रायजोन का खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि शहर का 33 फीसदी भू भाग पहले ही ड्राय जोन बन चुका है।
खासतौर पर शहरी भू-जल रिपोर्ट्स का पिछला आकलन भी भयावह रहा था, जब शहर में करीब 450 एमएम बारिश हुई थी। तब शहर में एक फीट जल स्तर में इजाफा नहीं हुआ था। इन परिस्थितियों में भू-जल विदों का कहना है कि मानसून देरी हुई तो मुरार और लश्कर का इलाका पूरी तरह ड्राय हो सकते हैं। एक्सपर्टस के मुताबिक अगर शेष मानसून अगर बारिश नहीं हुई तो इस साल शहर के ग्राउंड वाटर में तीन से चार मीटर की गिरावट तय है। एक तरह से ये अलार्मिंग स्टेज होगी। मुरार और लश्कर पश्चिम और मध्य का इलाका तो पहले ही करीब करीब ड्रायजोन की स्थिति में हैं।
शहरी भू जल स्तर
शहर का औसत भूजल स्तर 25 से 35 मीटर रहा है। बीते दो सालों में 5-7 मीटर और नीचे खिसका है। इस तरह शहर में जल स्तर खिसकर 35-40 मीटर पहुंच गया है। अलबत्ता ड्रायजोनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
असफलता सिरदर्द
भू-जल रीचार्जिंग में असफलता की मुख्य वजह आम आदमी की रूफ वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति उदासीनता और सरकारी मशीनरी की अरुचि रही है। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का नियम को प्रभावी करने में किसी ने भी उपाय नहीं किए हैं।