खासतौर पर शहरी भू-जल रिपोर्ट्स का पिछला आकलन भी भयावह रहा था, जब शहर में करीब 450 एमएम बारिश हुई थी। तब शहर में एक फीट जल स्तर में इजाफा नहीं हुआ था। इन परिस्थितियों में भू-जल विदों का कहना है कि
मानसून देरी हुई तो मुरार और लश्कर का इलाका पूरी तरह ड्राय हो सकते हैं। एक्सपर्टस के मुताबिक अगर शेष
मानसून अगर बारिश नहीं हुई तो इस साल शहर के ग्राउंड वाटर में तीन से चार मीटर की गिरावट तय है। एक तरह से ये अलार्मिंग स्टेज होगी। मुरार और लश्कर पश्चिम और मध्य का इलाका तो पहले ही करीब करीब ड्रायजोन की स्थिति में हैं।