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124 स्कूलों में सुविधाएं जीरो

 बिना नियमों को पूरा किए संचालित निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा मान्यता लिए जाने की पेशकश की थी। ऐसे स्कूलों की मान्यता को लेकर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण की ओर से रोक दी गई है। ऐसे 124 स्कूल संभागभर में है जो नियमों को पूरा नहीं कर रहे थे और मान्यता के लिए ऑनलाइन आवेदन किए थे।

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Avdesh Shrivastava

Jul 30, 2017

clip arts

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ग्वालियर. बिना नियमों को पूरा किए संचालित निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा मान्यता लिए जाने की पेशकश की थी। ऐसे स्कूलों की मान्यता को लेकर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण की ओर से रोक दी गई है। ऐसे 124 स्कूल संभागभर में है जो नियमों को पूरा नहीं कर रहे थे और मान्यता के लिए ऑनलाइन आवेदन किए थे। इन स्कूलों में नौवीं से लेकर बारहवीं तक के छात्रों को बिना मान्यता मिले प्रवेश दे चुके हैं। अब इन छात्रों का प्रवेश दूसरी संस्था में गुपचुप तरीके से किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, अब ऐसे स्कूलों में प्रवेश कराए जा रहे हैं जिन स्कूलों का छात्रों ने नाम तक कभी नहीं सुना।
हर साल की भांति इस बार भी छात्रों को धोखे में रखकर पढ़ाई किसी अन्य जगह कराई जाएगी और उनके एग्जाम किसी ओर संस्था में दिलाए जाएंगे। संभाग में ऐसे स्कूलों की संख्या अच्छी खासी है, जिन्होंने पढऩे वाले हजारों छात्र होंगे, जिन्हें ठगा जा रहा है। निजी स्कूल संचालकों ने दूसरे स्कूल संचालकों से बातचीत करके ली है। वे बोर्ड परीक्षा भी इन छात्रों की दूसरी निजी स्कूलों में दिलाने की पूरी रणनीति बना चुके हैं। स्कूल संचालकों द्वारा संस्था परिवर्तन का खुलासा उस समय किया जाता है जब परीक्षा फार्म भरे जा चुके होते और प्रवेश-पत्र छात्रों के हाथों में आता है। इस दौरान जब कोई छात्र विरोध जताता है तो उसे बोर्ड परीक्षा में सुविधा दिए जाने को सपने भी दिखाए जाते हैं। यह सब के पीछे शिक्षा माफिया काम कर रहे हैं।

55 स्कूलों की मान्यता निरस्त
इस दौरान पिछले सालों से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी के 55 स्कूलों की मान्यता को पुन: नवीनीकरण नहीं किया गया। वहीं 69 नए स्कूलों की मान्यता के आवेदन को निरस्त किया गया। इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि इन स्कूलों द्वारा ली जाने वाली मान्यता के आधार पर खरे नहीं उतर रहे थे। ऐसे स्कूलों में बढ़ी तादाद में छात्र है जिन्हें स्कूल पर पूरा भरोसा था। परंतु यह संस्थाएं सरकार के भरोसे पर खरी नहीं उतर सकीं।

ऐसे स्कूल छात्रों को प्रवेश न दें। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी हो चुके हैं। जिन स्कूलों में पूर्व से प्रवेश है उन्हें अन्य सरकारी संस्था में प्रवेश दिए जाने की पहल की जा रही है।
शीतांशु शुक्ला, संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण संचानालय