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प्रधानाध्यापक की विदाई में फूट-फूट कर रोए ग्रामीण, बच्चों को 12 साल तक दिया ज्ञान

- ग्रामीणों ने 12 साल पहले BSA कार्यालय जाकर रुकवाया था ट्रांसफर- प्रेम और संबंधों के लिए एक मिसाल बनी अध्यापक की विदाई

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
हमीरपुर. कहते है कि कर्म ही पूजा है। इंसान अपने कर्मों से ही जाना जाता है और इंसान अपने प्रेम भरी वाणी और अच्छे कर्मों से दूसरों के दिलों में राज करता है। या यह कहा जा सकता है कि जहां कोई संबंध न हो वहां पर भी प्रेम भरी वाणी से अच्छे संबंध बन जाते हैं आज हम कोई कहानी नहीं बल्कि आपको हकीकत दिखाएंगे आखिर एक अध्यापक की विदाई में कैसे फूट-फूट कर रोए ग्रामीण और आखिर क्यों रोए यह भी आपको बताया जाएगा।

जिला हमीरपुर के सरीला क्षेत्र में एक गांव है जो धरऊपुर के नाम से जाना जाता है। धरऊपुर के नवीन प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात भीष्म नारायण और धरऊपुर के ग्रामीणों के बीच अजब गजब प्रेम देखने को मिला। अध्यापक भीष्म नारायण ने ग्राम धरऊपुर में अपने जीवन के 12 साल नवीन प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को ज्ञान देने में बिताए। भीष्म नारायण के स्वभाव और वाणी से ग्रामीण इतने प्रभावित हो गए कि 12 साल बाद जब अध्यापक भीष्म नारायण का स्थानांतरण हुआ तो ग्रामीणों के आंसू निकल आए और विदाई समारोह में ग्रामीणों के साथ-साथ अध्यापक भीष्म नारायण भी जमकर रोए।

ग्रामीणों ने BSA कार्यालय जाकर रुकवाया था ट्रांसफर

क्या बच्ची क्या महिला और क्या पुरुष जिसे देखो बस आंखों में आंसू लिए फूट फूट कर रो रहे थे। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि एक बार पहले भी भीष्म नारायण का ट्रांसफर हुआ था लेकिन ग्रामीणों ने BSA कार्यालय जाकर ट्रांसफर को रुकवाया था और आज जब विदाई समारोह हुआ तो सूचना पाते ही ग्रामीणों का जनसैलाब उमड़ पड़ा और बधाई देते हुए जमकर आंसू बहाए। तो यह मंजर जिला हमीरपुर के ग्राम धरऊपर में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात भीष्म नारायण के विदाई समारोह में देखने को मिला जो एक प्रेम और संबंधों के लिए एक मिसाल कायम करता है।