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जिला अस्पताल में सेवाएं देने के लिए वापस लौटी एक एमएस गायनी

locationहनुमानगढ़Published: Jun 29, 2022 10:09:32 pm

Submitted by:

adrish khan

जिला अस्पताल में सेवाएं देने के लिए वापस लौटी एक एमएस गायनी- दो एमएस गायनी होने से एमसीएच यूनिट में होगा सुधार- एक ही एमएस गायनी के कारण 70 से भी नीचे पहुंच गई थी सर्जरी की संख्याहनुमानगढ़. जिला अस्पताल में सेवाएं देने के लिए एक एमएस गायनी ने फिर से पदभार संभाल लिया है।

जिला अस्पताल में सेवाएं देने के लिए वापस लौटी एक एमएस गायनी

जिला अस्पताल में सेवाएं देने के लिए वापस लौटी एक एमएस गायनी


जिला अस्पताल में सेवाएं देने के लिए वापस लौटी एक एमएस गायनी
– दो एमएस गायनी होने से एमसीएच यूनिट में होगा सुधार
– एक ही एमएस गायनी के कारण 70 से भी नीचे पहुंच गई थी सर्जरी की संख्या
हनुमानगढ़. जिला अस्पताल में सेवाएं देने के लिए एक एमएस गायनी ने फिर से पदभार संभाल लिया है। काफी समय से अनुपस्थित रहने के कारण अस्पताल प्रशासन ने बीकानेर डायरेक्टर को सूचित भी कर दिया था। एमएस गायनी के आने से एमसीएच यूनिट में व्यवस्थाओं में सुधार होने की उम्मीद है। वर्तमान में एसएस गायनी की संख्या दो होने से सिजेरियन की संख्या में भी बढ़ोतरी हो सकेगी। गौरतलब है कि एमसीएच यूनिट में केवल एक ही एमएस गायनी होने के कारण सिजेरियन की संख्या 70 से भी नीचे तक पहुंच गई थी। गत कुछ समय में जिला अस्पताल में कार्यरत तीन एमसएस ने अपनी सेवाएं बीच में छोड़ चली गई थी। सूत्रों की माने तो तीनों एमएस गायनी प्राइवेट अस्पतालों से जुड़ चुकी हैं। जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से बीकानेर डायरेक्टर को पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया था। वहीं मुख्यालय को पत्र लिखकर पदों को रिक्त मानते हुए एमएस गायनी लगाने का आग्रह किया था। हालांकि राज्य सरकार की ओर से जिला अस्पताल में अभी तक एमएस गायनी को नहीं लगाया गया।
अब तक यह थी व्यवस्था
जिला अस्पताल प्रशासन ने एक ही एमएस गायनी के रहने से व्यवस्था नहीं बिगड़े, इसके लिए प्राइवेट अस्पताल की तीन एमएस गायनी का एक पैनल बना रखा था। जिला अस्पताल में कार्यरत एमएस गायनी के अवकाश पर जाने या डेऑफ होने पर प्राइवेट अस्पताल की एमएस गायनी को ऑनकॉल बुलाकर सिजेरियन करवाए जाते थे। गौरतलब है कि 2020 में भी जिला अस्पताल प्रशासन ने आउट सोर्स के जरिए यह व्यवस्था की थी। लेकिन ज्यादा दिन तक चल नहीं पाई थी। इन आउट सोर्सेज के पैनल में शामिल चिकित्सकों का भुगतान भी अटक गया था। 2020 में जिला अस्पताल की एमसीएच यूनिट में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण करीब 46 दिन तक ताला लटका रहा था। एमएस गायनी नहीं होने के कारण परिजन साधारण प्रसव करवाने के लिए भी गर्भवती को जिला अस्पताल में लाने से कतराते थे। जिला अस्पताल में तीन माह में तीन एमएस गायनी सरकारी सेवाएं छोड़कर प्राइवेट अस्पताल से जुड़ चुकी थी।
सिजेरियन की संख्या हुई कम
एमसीएच यूनिट में एक माह में 125 से अधिक सर्जरी होती है। कई बार यह आंकड़ा 150 से अधिक भी पहुंच जाता है। हालांकि यह आंकड़ा 70 से भी नीचे चला गया है। वर्तमान में जिला अस्पताल में सात एनस्थेसिया चिकित्सक है और छह पीडियाट्रिशन हैं। चार एमएस गायनी में से एक ही अपनी सेवाएं निरंतर दे रही है। नियमों के अनुसार सौ बेड के एमसीएच यूनिट के लिए चार एमएस गायनी होनी चाहिए। जिला अस्पताल को लेबर रूम व जेएसएसवाई वार्ड में बेहतर व्यवस्था होने पर राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन अब एक ही एमएस गायनी होने के कारण प्रसव की संख्या बेहद कम हो गई है।
प्राइवेट में 35 हजार रुपए
राज्य सरकार जिला अस्पताल में दो एमएस गायनी लगा दे तो लोगों को सर्जरी के लिए प्राइवेट अस्पताल की चरफ रूख नहीं करना पड़ेगा। प्राइवेट अस्पताल में सिजेरियन पर 35 हजार के करीब खर्च आता है।

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