
चिट्टा, स्मैक, हेरोइन सबसे घातक, नर्व सिस्टम करे ब्लॉक, एक बार से आदत की आशंका प्रबल
चिट्टा, स्मैक, हेरोइन सबसे घातक, नर्व सिस्टम करे ब्लॉक, एक बार से आदत की आशंका प्रबल
- नशा कोई भी हो इच्छाशक्ति, परामर्श, दवा व परिजनों के सहयोग से छोडऩा संभव
- कोटपा अधिनियम के तहत अभियान चलाकर रेकॉर्ड चालान काटने की तैयारी
हनुमानगढ़. ज्यादातर नशीले पदार्थ पहले शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। मगर चिट्टा, स्मैक, हेरोइन जैसे घातक नशे पहले दिमाग पर असर डालते हैं। इन नशों के आदी रोगी का नर्व सिस्टम ब्लॉक हो जाता है। दिमागी बीमार बनाने के बाद यह नशा शरीर के अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव डालता है। मेंटल हेल्थ कार्यक्रम के जिला नोडल प्रभारी व वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. ओपी सोलंकी ने सोमवार को सीएमएचओ कार्यालय में पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी।
डॉ. सोलकी ने बताया कि चिट्टे में मूलत: अफीम होती थी। सफेद रंग की वजह से इसे चिट्टा कहा जाने लगा। मगर अब जो चिट्टा या स्मैक आ रही है, इसमें अन्य कोई घातक केमिकल भी हो सकता है। यह नशा इतना घातक है कि इसे एक बार लेने से ही व्यक्ति की पुन: लेने की इच्छा बढ़ जाती है। ऐसे में उसके चिट्टे के आदी होने की आशंका प्रबल हो जाती है। डॉ. ओपी सोलंकी ने बताया कि जिला अस्पताल में मनोरोग विभाग में 150 से 200 की ओपीडी होती है। इसमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगी नशे के आदी होते हैं। इसका मतलब नशे के प्रसार की स्थिति चिंतनीय है।
हर तरह का नशा छोडऩा संभव
मेंटल हेल्थ कार्यक्रम के जिला नोडल डॉ. सोलंकी ने बताया कि हर तरह का नशा छोड़ा जा सकता है। मजबूत इच्छाशक्ति, उचित चिकित्सकीय परामर्श व दवा तथा परिजनों के सहयोग से किसी भी नशे को अधिकतम 45 दिनों में छोड़कर खुशहाल जीवन शुरू किया जा सकता है। मेंटल हेल्थ कार्यक्रम के तहत नशे के रोगियों को नि:शुल्क दवा उपलब्ध कराई जाती है।
किशोरावस्था में ज्यादा घेरे मानसिक रोग
सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने कहा कि मानसिक रोगों की पहचान व इलाज बेहद जरूरी है। एनएमएच सर्वे के तहत 15 से 17 वर्ष की उम्र वाले 7.3 प्रतिशत किशोर मानसिक समस्या से ग्रस्त पाए गए। जबकि दो प्रतिशत से कम लोग गंभीर रूप से मानसिक बीमार थे। वहीं प्वॉइंट नौ प्रतिशत इतने मानसिक बीमार थे जो सुसाइड भी कर सकते थे। बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए उनको विशेष स्नेह दिया जाए। पांच साल की उम्र तक सबसे ज्यादा इमोशनल अटैचमेंट की जरूरत होती है। किशोरावस्था में बच्चों की बात पर ध्यान दिया जाए। हार्मोनल चेंज के कारण उनका स्वभाव थोड़ा बदलता है। इसी तरह बुढ़ापे में असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है जो मानसिक रोग का रूप ले सकती है। उस समय व्यक्ति को अपनेपन की बहुत जरूरत होती है। आत्मबोध होना अति आवश्यक है जो मानसिक रोगों से बचाता है। मानसिक रोगों के कई लक्षण हैं जिनसे रोगी की पहचान की जा सकती है।
पहले बना अब फिर रेकार्ड की तैयारी
जिला कार्यक्रम अधिकारी कोटपा निपेन शर्मा ने बताया कि गत 18 माह में 8850 लोगों की समझाइश की गई। साथ ही 3271 दुकान एवं व्यक्तियों के चालान काटकर 247336 राजस्व प्राप्त किया जो ई-ग्रास के जरिए तत्काल ऑनलाइन जमा करवा दिया गया। तम्बाकू उत्पाद से छुटकारा पाने की चाह रखने वालों के लिए जिले में पांच तम्बाकु मुक्ति परामर्श एवं उपचार केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इनमें एनसीडी काउन्सलर को प्रशिक्षित कर सेवाएं देने के लिए प्रेरित किया गया। जिले में 1564 लोगों को परामर्श दिया गया। इसमें से 1202 रोगियों ने एनआरटी दवा का लाभ उठाया। प्रदेश की पहली तम्बाकू मुक्त ग्राम पंचायत मक्कासर है। तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के प्रयासों से पड़ोसी ग्राम पंचायत 2 केएनजे तथा संगरिया की लम्बी ढाब को भी तम्बाकू मुक्त करने का प्रयास चल रहा है। इस साल 28 फरवरी को एक दिन में कोटपा एक्ट के तहत 723 रिकॉर्ड संख्या में चालान काटे गए। अब 30 अप्रेल को अभियान चलाकर पुन: रेकॉर्ड संख्या में चालान काटे जाएंगे।
Published on:
15 Mar 2022 06:16 pm
बड़ी खबरें
View Allहनुमानगढ़
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
