पैसे दो डिग्री लो, अब तक दर्जनों फर्जी, कई लग गए फर्जी डिग्री से नौकरी भी
हनुमानगढ़Published: Nov 22, 2021 08:15:00 pm
हनुमानगढ़. पढ़ाई में सिर खपाने की क्या जरूरत है। बस, पैसे दो और डिग्री लो। फिर उनके आधार पर कहीं भी सरकारी-प्राइवेट नौकरी हासिल कर लो, कौन पकड़ेगा। फर्जी मार्कशीट व डिग्री-डिप्लोमा बेचने वाले कुछ ऐसी ही लुभावनी विज्ञापननुमा भाषा का इस्तेमाल कर धंधा चलाते हैं।
पैसे दो डिग्री लो, अब तक दर्जनों फर्जी, कई लग गए फर्जी डिग्री से नौकरी भी
पैसे दो डिग्री लो, अब तक दर्जनों फर्जी, कई लग गए फर्जी डिग्री से नौकरी भी
– पैसे देकर प्रदेश के बाहर के विश्वविद्यालयों की फर्जी डिग्री लाकर देने का हो रहा हनुमानगढ़ में भंडाफोड़
– जीजा-साली के विवाद में की गई शिकायतों से खुल रहा डिग्रियों का फर्जीवाड़ा
– टाउन की अध्यापिका के राजसमंद में गिरफ्तारी मामले में अब तक दो दलाल आए पकड़ में
हनुमानगढ़. पढ़ाई में सिर खपाने की क्या जरूरत है। बस, पैसे दो और डिग्री लो। फिर उनके आधार पर कहीं भी सरकारी-प्राइवेट नौकरी हासिल कर लो, कौन पकड़ेगा। फर्जी मार्कशीट व डिग्री-डिप्लोमा बेचने वाले कुछ ऐसी ही लुभावनी विज्ञापननुमा भाषा का इस्तेमाल कर धंधा चलाते हैं। मगर यह भूल जाते हैं कि फर्जीवाड़ा तो आखिर फर्जीवाड़ा है, जाने कब सामने आ जाए और हालत पतली कर दे।
फिलहाल जिले व आसपास के इलाके में रहने वाले दर्जनों लोगों की हालत ऐसी ही हो रही है। दरअसल, दस्तावेजों में फर्जीवाड़े से अध्यापिका की नौकरी हासिल करने के मामले की जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ रही है, डिग्रियों में खेला सामने आ रहा है। आरोपी अध्यापिका ने फर्जी डिग्री उपलब्ध कराने वालों के नाम पुलिस को बताए, उसके बाद दो दलालों को दबोचा जा चुका है। दोनों दलालों ने अब तक 80 से 85 फर्जी डिग्री व मार्कशीट पैसे लेकर लोगों को लाकर देना स्वीकारा है। संभव है कि यह आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो। मगर चिंतनीय यह है कि जब गिरफ्तार अध्यापिका फर्जी डिग्री से सरकारी नौकरी हासिल कर सकती है तो शेष लोगों में से भी कई अभी सरकारी नौकरी में होंगे। अगर पुलिस गहन जांच-पड़ताल करे तो कई लोगों की नौकरी गिरफ्तार अध्यापिका की तरह जा सकती है।
यूं जुड़ती गई फर्जीवाड़े की कड़ी
राजसमंद जिले की राजनगर थाना पुलिस ने 11 नवम्बर को फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने के आरोप में टाउन निवासी अध्यापिका इंद्रा खुंगर को गिरफ्तार किया। उसने अपने जीजा जोधा सिंह, बहन सुनीता भाटी एडीईओ प्रारंभिक तथा एक अन्य की मदद से बीए की फर्जी डिग्री प्राप्त करने की जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद 14 नवम्बर को राजनगर पुलिस ने फर्जी मार्कशीट उपलब्ध कराने के आरोप में प्रदीप कुमार सहारण पुत्र रामदयाल सहारण निवासी संपतनगर, जंक्शन को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया। उसने आरोपी अध्यापिका की बहन तथा जीजा की मदद से फर्जी मार्कशीट उपलब्ध कराने की बात स्वीकारी। साथ ही यह भी बताया कि अमर सेतिया (30) पुत्र मोहनलाल अरोड़ा निवासी अबोहर, पंजाब उनको डिग्री उपलब्ध कराने में मदद करता था। इसके बाद राजनगर पुलिस ने अमर सेतिया को 19 नवम्बर को गिरफ्तार कर लिया। इस बीच राजनगर पुलिस 18 नवम्बर को हनुमानगढ़ आई तथा एडीईओ सुनीता भाटी के कार्यालय जाकर जांच की।
विवाद से निकला फर्जीवाड़े का मवाद
गिरफ्तार अध्यापिका इंद्रा खुंगर व उसके पति विकास नागपाल का जोधा सिंह से लम्बे समय से विवाद चल रहा है। इसके चलते दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ कई मामले भी दर्ज करवा चुके हैं। इसी विवाद के चलते ही इंद्रा खुंगर के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करने की शिकायत शिक्षा विभाग से की गई। विभागीय जांच के बाद अध्यापिका को नौकरी से हटा दिया गया। इंद्रा खुंगर की सीएमजे यूनिवर्सिटी मेघालय की ओर से जारी स्नातक की तीनों वर्षों की अंक तालिकाएं फर्जी पाए गई थी। अध्यापिका को सबसे पहले राजसमंद जिले के सरकारी विद्यालय में ही नियुक्ति मिली थी। इसलिए 28 अप्रेल 2021 को तत्कालीन डीईओ प्रारंभिक मुख्यालय राजसमन्द सोहनलाल रेगर ने वहां के राजनगर थाने में इन्द्रा खुंगर के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जीजा-साली के इस विवाद के कारण ही फर्जी डिग्रियों व मार्कशीट के धंधे का मवाद बाहर निकला है।
कमीशन का खेल
राजसमंद पुलिस को आरोपी प्रदीप सहारण ने बताया कि वर्ष 2010 से 13 तक वह पायनियर क्लासेज के नाम से कोचिंग सेंटर चलाता था। हनुमानगढ़ के आसपास के लोगों की फर्जी मार्कशीट 20-25 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक में बनवाता था। यह मार्कशीट सीएमजे यूनिवर्सिटी की होती थी। इस पर उसे पांच से 20 प्रतिशत कमीशन मिलता था। वर्ष 2012 में जोधा सिंह व उसकी पत्नी सुनीता भाटी के कहने पर इन्द्रा खुंगर को 25 हजार रुपए में फर्जी मार्कशीट लाकर दी थी। उसने व जोधा सिंह ने करीब 20 से 25 लोगों को फर्जी डिग्रियां व मार्कशीट लाकर दी थी। इनमें से पांच का तो वह पुलिस को नाम बता भी चुका है। आरोपी अमर सेतिया ने पुलिस को बताया कि उसने वर्ष 2012 से 2017 की अवधि में करीब 60 लोगों को बीए,बीकॉम, डीसीए व बीसीए की फर्जी डिग्रियां उपलब्ध कराई हैं। हालांकि उसने डिग्री प्राप्त करने वालों के नाम पुलिस को अभी तक नहीं बताए हैं।
तो फिर क्या जांचा
सरकारी नौकरी लगने के बाद चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों आदि की जांच की जाती है। सरकारी कर्मचारी यूं तो किसी प्रकरण को छोटी से बात के लिए अटका देते हैं और कहीं उनसे फर्जी डिग्री तक पकड़ में नहीं आती। गिरफ्तार अध्यापिका की जब शिकायत हुई तब शिक्षा विभाग ने जांच कराई और फर्जीवाड़ा पकड़ा। क्या ऐसा नहीं होना चाहिए कि हर अभ्यर्थी के शैक्षणिक दस्तावेजों की गहन पड़ताल की जाए। वैसे भी हर सरकार नौकरी की प्रक्रिया में दो-तीन साल लगाते ही हैं। इस समय का सदुपयोग दस्तावेजों की प्रमाणिकता परखने में किया जा सकता है ताकि मेहनती विद्यार्थियों का हक फर्जी दस्तावेज वाले नहीं मार सके।