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सरकारी खरीद की तस्वीर नहीं साफ, किसानों में बढ़ रहा रोष

हनुमानगढ़. जिले की मंडियों में अगले महीने से धान की आवक होने की संभावना है। परंतु अभी तक सरकार ने सरकारी खरीद को लेकर किसी तरह की तैयारी नहीं की है।

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सरकारी खरीद की तस्वीर नहीं साफ, किसानों में बढ़ रहा रोष

सरकारी खरीद की तस्वीर नहीं साफ, किसानों में बढ़ रहा रोष

-इस बार धान की अच्छी फसल हुई है तैयार
-किसानों की मांग, एक सितम्बर से शुरू हो सरकारी खरीद
हनुमानगढ़. जिले की मंडियों में अगले महीने से धान की आवक होने की संभावना है। परंतु अभी तक सरकार ने सरकारी खरीद को लेकर किसी तरह की तैयारी नहीं की है। स्थिति यह है कि अब तक सरकारी खरीद केंद्र भी घोषित नहीं किया गया है। कलक्टर कार्यालय से इस बारे में सरकार से पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन जिले में इस बार भी धान की सरकारी खरीद होगी या नहीं, इसकी स्थिति साफ नहीं हो रही है। इस बीच किसान संगठन इस मांग को लेकर मुखर हो रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने धान-मूंग सहित अन्य फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की मांग को लेकर आठ सितम्बर को जिला कलक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। मोर्चा प्रतिनिधियों के अनुसार प्रदर्शन के दौरान ही आगामी निर्णय लिया जाएगा। इस संबंध में गुरुवार को जंक्शन धानमंडी स्थित किसान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। रेशम सिंह मानुका ने कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में धान-बाजरा की खरीद एमएसपी पर होती है। लेकिन राजस्थान के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जबकि हर साल राजस्थान के किसान की ओर से मांग की जाती है कि धान, मूंग, बाजरा, नरमा सहित अन्य फसलों की खरीद एमएसपी पर हो। सरकार की ओर से कुछ मात्रा में मूंग की सरकारी खरीद की जाती है। एक नवंबर से मूंग की सरकारी खरीद तय होती है लेकिन खरीद शुरू करते-करते पंद्रह नवंबर हो जाती है। चार साल पहले भी किसानों ने धरना-प्रदर्शन किया। किसानों पर लाठीचार्ज हुआ। तब धान की कुछ खरीद एमएसपी पर की गई लेकिन उसके बाद फिर धान की सरकारी खरीद नहीं हुई। वर्तमान में केन्द्र व राजस्थान में डबल इंजन की सरकार है। इस तरह की समस्या भी नहीं है कि एमएसपी पर इन फसलों की खरीद न की जा सके। अगर सरकार की मंशा हो तो इन फसलों की खरीद एमएसपी पर हो सकती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि मूंग-धान की एमएसपी पर खरीद पंद्रह सितम्बर से शुरू की जाए। वर्तमान सरकार के चुनावी वादे अनुसार बाजरा की सरकारी खरीद भी हो। सरकार की ओर से घोषित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसान की फसल बिके। लेकिन कई सालों से मांग करने के बावजूद सरकार धरतीपुत्रों की बात नहीं सुन रही। इसके विरोध में धान, मूंग, बाजरा की एमएसपी पर खरीद को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आठ सितम्बर को कलक्ट्रेट के समक्ष बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने किसान संगठनों, व्यापारिक संगठनों, राजनीतिक संगठनों व सामाजिक संगठनों से आह्वान किया कि वह बढ़-चढकऱ आठ सितम्बर को कलक्ट्रेट के समक्ष पहुंचे। क्योंकि जिले में व्यापार की बात करें या अन्य छोटे-मोटे धंधों की। यह सब खेती से जुड़े हुए हैं। अगर हमारी खेती फेल हो गई तो यहां का व्यापार-धंधा भी चौपट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान ही यह तय किया जाएगा कि आंदोलन को बेमियादी समय के लिए जारी रखना है या नहीं। सरकार के समक्ष मांग को पुरजोर तरीके से रखा जाएगा। रामेश्वर वर्मा, सुभाष गोदारा, राय साहब सहित कई अन्य किसान प्रतिनिधि आदि प्रेस कान्फ्रेंस में मौजूद रहे। गौरतलब है कि धान खरीद की समस्या पर राजस्थान पत्रिका लगातार समाचारों का प्रकाशन कर सरकार को जगाने का प्रयास कर रही है। इसी क्रम में किसान संगठन भी एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि किसानों को एमएसपी का लाभ मिल सके।

इतने उत्पादन का अनुमान
इस बार जिले में धान का अनुमानित उत्पादन 2109520 क्विंटल माना जा रहा है। परमल धान की खेती करीब 27 हजार हेक्टैयर में हो रही है। सरकार ने परमल धान का एमएसपी 2369 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है। यदि बाजार भाव इससे नीचे रहे और सरकार ने एमसपी पर खरीद शुरू नहीं की तो इससे किसानों को बड़ा नुकसान होने की आशंका है।

यहां होती है आवक
ंहर वर्ष जिले की हनुमानगढ़ जंक्शन, हनुमानगढ़ टाउन, टिब्बी, डबलीराठान, तलवाड़ा झील, संगरिया व पीलीबंगा मंडी में हजारों क्विंटल धान की आवक होती है। इन मंडियों में सरकारी खरीद को लेकर केंद्र स्वीकृत करने की जरूरत है।