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नहरी पानी का गणित तैयार, आज तय होगा रबी सीजन का रेग्यूलेशन

हनुमानगढ़. प्रदेश की इंदिरागांधी नहर में आगामी रबी सीजन में फसलों की बिजाई के लिए कितना पानी मिलेगा, इसका निर्धारण शुक्रवार दोपहर बारह बजे होने वाली जल परामर्शदात्री समिति की बैठक में किया जाएगा।

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हनुमानगढ़. प्रदेश की इंदिरागांधी नहर में आगामी रबी सीजन में फसलों की बिजाई के लिए कितना पानी मिलेगा, इसका निर्धारण शुक्रवार दोपहर बारह बजे होने वाली जल परामर्शदात्री समिति की बैठक में किया जाएगा।

हनुमानगढ़. प्रदेश की इंदिरागांधी नहर में आगामी रबी सीजन में फसलों की बिजाई के लिए कितना पानी मिलेगा, इसका निर्धारण शुक्रवार दोपहर बारह बजे होने वाली जल परामर्शदात्री समिति की बैठक में किया जाएगा।

हनुमानगढ़. प्रदेश की इंदिरागांधी नहर में आगामी रबी सीजन में फसलों की बिजाई के लिए कितना पानी मिलेगा, इसका निर्धारण शुक्रवार दोपहर बारह बजे होने वाली जल परामर्शदात्री समिति की बैठक में किया जाएगा। इस अहम बैठक में संबंधित जिलों के अधिकारी व जनप्रतिनिधि शामिल होकर आगामी रबी सीजन का रेग्यूलेशन तैयार करेंगे। बीबीएमबी स्तर पर बांधों में भंडारित पानी का गणित तैयार कर लिया गया है। इसकी सूचना स्थानीय अधिकारियों को दे दी गई है। इसके आधार पर स्थानीय अधिकारियों ने रबी सीजन का प्रस्तावित रेग्यूलेशन तैयार किया है। जिसे शुक्रवार को होने बैठक में सदस्यों के समक्ष रखा जाएगा। जल संसाधन विभाग उत्तर संभाग हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में उक्त बैठक रखी गई है। दोपहर बारह बजे होने वाली बैठक की तैयारी विभाग स्तर पर पूरी कर ली गई है। हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, संगरिया, पीलीबंगा, नोहर, रायसिंहनगर, अनूपगढ़, खाजूवाला, चूरू आदि क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को बैठक में शामिल होने को लेकर सूचना भेजी गई है। इस बार समय पर बांधों के लबालब होने से राजस्थान के किसानों को काफी फायदा मिलने के आसार हैं। उम्मीद की जा रही है कि रबी फसलों की बिजाई के लिए किसानों इस बार पूरा पानी मिल सकता है। भाखड़ा बांध की कुल भराव क्षमता 1685 फीट के करीब है। वहीं पौंग बांध की कुल भराव क्षमता 1390 से 1395 फीट मानी जाती है। इस तरह कुल भराव क्षमता के अनुसार इस बार बांध भरे हुए हैं।

बंटवारे पर नजर
भारत के विभाजन से पूर्व देश में सिंधु प्रणाली की छह नदियां जैसे सिंधु, झेलम, चिनाव, रावी, व्यास तथा सतलुज प्रवाहित होती थी। इन नदियों के पानी के उपयोग के लिए 1960 में भारत एवं पाकिस्तान के मध्य विश्व बैंक की मध्यस्थता में समझौता हुआ था। इस समझौते पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू व पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खां ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत सिंधु, झेलम व चिनाव नदियों का पानी पाकिस्तान के हिस्से में आया। जबकि रावी, व्यास व सतुलज नदियों का पानी पूर्ण रूप से भारत को उपयोग के लिए उपलब्ध हुआ। इन तीनों नदियों के पानी से देश के कई राज्यों को विकसित करने के लिए बांध व नहरों का निर्माण करवाया गया था। इसके फलस्वरूप इंदिरागांधी नहर परियोजना से राजस्थान जैसे मरु प्रदेश के बारह जिले सिंचित हो रहे हैं।

….फैक्ट फाइल…..
-भाखड़ा बांध सतलुज नदी पर हिमाचल प्रदेश के विलासपुर जिले में बना हुआ है। इस बांध का निर्माण 1948-63 के बीच पूर्ण हुआ। इस बांध की नदी तल से ऊंचाई 550 मीटर है। इस बांध की पूर्ण भराव क्षमता 1685 फीट है।

-पौंग बांध व्यास नदी पर बना हुआ है। इस बांध का निर्माण वर्ष 1974 में पूर्ण हुआ। इस बांध की पूर्ण भराव क्षमता 1390 से 1395 फीट है।

-रणजीत सागर बांध का निर्माण वर्ष 2002 में पूर्ण हुआ। यह रावी नदी पर बना हुआ है। इस बांध से विद्युत उत्पादन के बाद पानी माधोपुर हैड वक्र्स पर आता है। यहां से माधोपुर व्यास लिंक के माध्यम से इस व्यास नदी में डायवर्ट किया जाता है।