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दान की रकम से बने पुलिस कंट्रोल रूम के नए भवन का लोकार्पण, एंटी गैंग्सेटर टॉस्क फोर्स का यहीं से होगा संचालन

हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर पुलिस नियंत्रण कक्ष के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण बुधवार को पुलिस अधीक्षक हरीशंकर सहित अन्य अतिथियों ने किया। इस मौके पर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कंट्रोल रूम और एंटी गैंग्सेटर टॉस्क फोर्स (एजीटीएफ) अब एक जगह से संचालित होगा।

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हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर बुधवार को कंट्रोल रूम के नव निर्मित भवन का लोकार्पण करते पुलिस अधिकारी व मौजूद दानदाता।

हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर बुधवार को कंट्रोल रूम के नव निर्मित भवन का लोकार्पण करते पुलिस अधिकारी व मौजूद दानदाता।

हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर पुलिस नियंत्रण कक्ष के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण बुधवार को पुलिस अधीक्षक हरीशंकर सहित अन्य अतिथियों ने किया। इस मौके पर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कंट्रोल रूम और एंटी गैंग्सेटर टॉस्क फोर्स (एजीटीएफ) अब एक जगह से संचालित होगा। दोनों के बीच समन्वय से अपराध का खात्मा करना आसान होगा।
नए भवन को आधुनिक और तकनीकी रूप से मजबूत करने का प्रयास किया गया है। ताकि पुलिसकर्मी किसी तरह की सूचना पर तत्काल मौके पर जाकर कार्रवाई कर सकें। यहां मौजूद सुविधाएं पुलिस की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी। पुलिस नियंत्रण कक्ष का नया भवन कलक्ट्रेट मार्ग पर श्री परशुराम चौक के पास बनाया गया है।
इससे पहले पुलिस नियंत्रण कक्ष जंक्शन थाना परिसर के अलग भवन में वर्ष 2002 से संचालित था। वर्तमान में यह भवन जर्जर हो गया था। नए भवन का निर्माण दानदाताओं के सहयोग से करवाया गया है। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक की ओर से दानदाताओं का सम्मान किया गया।
पुलिस अधीक्षक हरी शंकर ने कहा कि आज का दिन जिले की सुरक्षा और सेवा के एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। पुलिस नियंत्रण कक्ष जो हमारी सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, आज एक अत्याधुनिक और नए भवन में स्थानांतरित हो गया है।
उन्होंने कहा कि नव स्थापित पुलिस नियंत्रण कक्ष पुलिस कर्मियों व आम जनता के लिए कम्युनिकेशन सेवा व निष्ठा का प्रतीक रहा है। पिछले पांच दशकों में सामाजिक व तकनीकी स्तर पर कई बदलाव हुए हैं। पहले कॉल रिसीव करने का तरीका पूरी तरह मैन्युअल था।
शिकायतें व सूचनाएं मोटे-मोटे रजिस्टरों में दर्ज की जाती थीं। गुगल मैप की जगह हाथ से बने मैप का प्रयोग होता था। इन सीमित संसाधनों व पुराने उपकरणों के बावजूद त्वरित प्रतिक्रिया देने का प्रयास किया। पुलिस कंट्रोल रूम ने सीमित संसाधनों में भी सुरक्षा व सेवा दी लेकिन समय के साथ, बढ़ती तकनीकी जरूरतों व पुलिस नियंत्रण कक्ष का भवन जर्जर व पुराना होने के कारण सेवा की गुणवत्ता में बाधा बन रहा था। ऐसे में एक ऐसे नए पुलिस नियंत्रण कक्ष परिसर व भवन की आवश्यकता थी जो नई तकनीक से सुसज्जित हो।
यह नया भवन केवल ईंट और सीमेंट का ढांचा नहीं है, बल्कि यह तेज प्रतिक्रिया, उन्नत तकनीक और बेहतर समन्वय का केन्द्र बनेगा। इससे पुलिस आपातकालीन कॉल को अधिक कुशलता से संभाल पाएगी और प्रतिक्रिया समय कम होगा। उन्होंने भवन निर्माण में सहयोग करने वाले दानदाताओं का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर दानदाता महंत रूपनाथ, इंद्र हिसारिया, शिवशंकर खडग़ावत, विजय गोयल (पिंटू), मोनू चमडिय़ा, अशोक नागपाल, गोपाल साईं, एएसपी जनेश तंवर, नीलम चौधरी, वृत्ताधिकारी मीनाक्षी लेघा, डीएसपी रणवीर साईं, समाजसेवी सुशील बहल, यातायात थाना प्रभारी अनिल चिंदा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन भीष्म कौशिक ने किया। भवन निर्माण में पुलिसकर्मी रमेश पूनियां का सराहनीय योगदान रहने पर उनका भी पुलिस अधिकारियों ने सम्मान किया।

एक लाख ईंट के लिए कह दें तो मना नहीं करते
कार्यक्रम को श्रीगंगानगर के डीएसपी राहुल यादव ने भी संबोधित किया। उन्होंने कंट्रोल रूम की स्थापना के सफर को याद करते हुए कहा कि वर्ष 2002 में तत्कालीन एसपी के आदेश पर जंक्शन थाने के स्टोर रूम में कंट्रोल रूम का संचालन शुरू किया गया था। अच्छा कंट्रोल रूम बनाने का ख्वाब मैंने उसी दिन देख लिया था। इस ख्वाब को पूरा होने में दो दशक लग गए। उन्होंने कहा कि नेक नीयत से सारे काम संभव होते हैं। भामाशाह व्यक्ति नहीं होता, व्यक्ति की प्रवृत्ति उसे भामाशाह बनाती है। उन्होंने मुकेश डूडी और गोपाल सांई का नाम लेते हुए कहा कि आज भी इन्हें एक लाख ईंट के लिए कह दें तो कभी पलटकर मना नहीं करते। भामाशाह महंत रूपनाथ, इंद्र हिसारिया व विजय गोयल पिंटू का भी आभार जताया।