मनरेगा के तहत गांवों में चल रहे विकास कार्यों में ज्यादातर में नियमों का ध्यान नहीं रखा जा रहा। जिला परिषद टीम के निरीक्षण में हनुमानगढ़ में यह बात सामने आई कि आपसी मिलीभगत करके मनरेगा में मेट व श्रमिकों को नियोजित किया जा रहा था। हनुमानगढ़ जिले में जनवरी २०२१ में स्थिति यह थी कि करीब एक हजार मनरेगा कार्य में एक लाख के करीब श्रमिकों को नियोजित कर दिया गया था। इसके बाद जिला परिषद की टीम की ओर से दोबारा निरीक्षण करने के बाद अब कई तरह की गड़बडिय़ां सामने आ रही है। वर्तमान में ३० मार्च २०२१ तक जिले में १७६७ मनरेगा कार्यों में ३४००० श्रमिकों को नियोजित किया गया है।
मनरेगा योजना में हाल ही में किए गए बदलावों के तहत अब बीस श्रमिकों के नियोजन वाले कार्यों में मेटों की जरूरत नहीं पड़ेगी। जबकि पहले दस श्रमिकों के नियोजन वाले कार्यों में मेटों की जरूरत नहीं पड़ती थी। नए नियम लागू होने के बाद मनरेगा में जिला परिषद की ओर से स्थाई व निजी लाभ वाले कार्य ही स्वीकृत किए जा रहे हैं।
लाभकारी बनाने का प्रयास
मनरेगा योजना को लाभकारी बनाने के लिए अब इसमें निजी लाभ वाले तथा स्थाई कार्य ही स्वीकृत किए जा रहे हैं। मेट व मजदूरों के नियोजन में रोटेशन की पालना सख्ती से करवा रहे हैं। मनरेगा योजना में अब बीस श्रमिकों वाले कार्य में मेटों के नियोजन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
-रामनिवास जाट, सीईओ, जिला परिषद, हनुमानगढ़