कृषि अधिकारियों के अनुसार इस बार कपास की फसल को शॉट मारने की सूचनाएं आ रही है। इससे किसानों को काफी नुकसान होने का डर है। शॉट मारने के दो प्रमुख कारण होते हैं। एक तो सफेद मक्खी का प्रकोप और दूसरा पोषक तत्वों की कमी। कृषि अधिकारियों के अनुसार सितम्बर तक पौधों में टिंडे बनकर तैयार होने के बाद इनमें पोषक तत्वों की मांग बढ़ जाती है। इससे पत्ते नीचे गिरने लगते हैं। इस तरह कपास की फसल को बचाने के लिए १.५ किलो यूरिया, १.५ किलो डीएपी १०० लीटर पानी में मिलाकर दस दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई थी। कृषि विभाग हनुमानगढ़ में आत्मा परियोजना के उप निदेशक जयनारायण बेनीवाल के नेतृत्व में बचाव संबंधी फोल्डर भी किसानों में वितरित करवाए गए।
हनुमानगढ़ जिले में इस बार करीब दो लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई की गई है। यहां प्रति हैक्टेयर २५ क्विंटल तक कपास उत्पादन किसानों ने लिया है। कृषि अधिकारी बलकरण सिंह के अनुसार जिले में कुल बिजाई रकबे की तुलना में पांच से आठ प्रतिशत क्षेत्र में शॉट मारने की सूचनाएं आई है। सोमवार तक अंतिम नुकसान रिपोर्ट आने के बाद सही स्थिति सामने आएगी। इसके लिए कृषि विभाग का फील्ड स्टॉफ नुकसान का मूल्यांकन करने में जुटा हुआ है।
कपास की फसल में शॉट मारने या विल्ट की समस्या ज्यादातर संगरिया क्षेत्र में रही है। इसमें बोलांवाली, नुकेरा, ढाबा, भगतपुरा, हरिपुरा, चक हीर सिंहवाला सहित अन्य गांव शामिल है। इसमें कुछ जगह बीस से तीस प्रतिशत तक नुकसान की आशंका है। अंतिम खराबा रिपोर्ट आने के बाद नुकसान की सही स्थिति सामने आएगी।
-जिले में चालू खरीफ सीजन में ०२ लाख हेक्टेयर में हुई कपास की बिजाई।
-जिले के किसानों ने प्रति हैक्टेयर २५ क्विंटल तक कपास उत्पादन लिया है।
-शॉट मारने या विल्ट के कारण कपास की फसल को १० से ३० प्रतिशत तक नुकसान होने की सूचना।
-फसल खराबे को लेकर गिरदावरी रिपोर्ट १५ अक्टूबर तक तैयार होने की उम्मीद।