
new born baby
हनुमानगढ़.
अष्टमी पर एक ओर सब लोग मां दुर्गा की पूजा में जुटे हुए थे, वहीं संगरिया थाना क्षेत्र के गांव नगराना में मां की ममता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। गुरुवार सुबह गांव के वार्ड तीन में सड़क किनारे नाले के पास कोई अज्ञात व्यक्ति नवजात शिशु (लड़का) को छोड़ गया। उसके रोने की आवाज सुनकर आसपास के लोग वहां पहुंचे तथा पुलिस को सूचना दी। एएसआई भीम सिंह मौके पर पहुंचे तथा शिशु को ग्रामीणों की मदद से संगरिया के सरकारी अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
ग्रामीण मोहन भाखर व पुलिसकर्मी अमनदीप ने बताया कि सुबह करीब छह बजे पालाराम कुम्हार की बेटी रवीना घर के बाहर झाड़ू लगाने आई तो उसने बच्चे के रोने की आवाज सुनी।आसपास देखा तो खून से लथपथ नवजात शिशु नाले के पास पड़ा था। उसने परिजनों व मोहल्ले वासियों को सूचना दी। ग्रामीणों ने तत्काल शिशु को कम्बल में लपेटा तथा उसे दूध पिलाया।
सरपंच प्रतिनिधि रामनिवास तिवाड़ी, डॉ. रमेश, जोतराम जाखड़, मोहननाथ, विकास, सोनू वर्मा, दीपक नाथ, अनिल भाकर, संदीप, रविंद्र आदि ने मौके पर पहुंच एंबुलेंस 104 व पुलिस को सूचना की। एंबुलेंस नहीं आई तो बच्चे को पुलिस जीप में ही दाताराम व विजय ने अस्पताल पहुंचाया। शिशु विशेषज्ञ डॉ. अरविंद शर्मा ने उसका उपचार किया। डॉ. शर्मा ने बताया कि शिशु की हालत अस्थिर है। उसे रेडियेंट वॉर्मर में रखा गया है। ओरनाल काटने के बाद रक्तस्त्राव से हाइपोथर्मिया विद पैलोर तथा सांस में तकलीफ हो रही है। बेहतर इलाज के लिए हनुमानगढ़ रेफर किया है।
तड़के ही छोड़ा किसी ने
ग्रामीणों का अंदाजा है कि नवजात को गुरुवार तड़के ही किसी ने नाले के पास छोड़ा होगा। क्योंकि देर रात छोड़ा गया होता तो कुत्ते आदि जानवर शिशु को नुकसान पहुंचा सकते थे। अज्ञात की मंशा थी कि उसकी पहचान भी छिपी रहे और कोई शिशु को देखकर उसे अस्पताल या पुलिस के पास भी पहुंचा दे। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
वो पालना तो था
गौरतलब है कि जिला अस्पताल में पालना गृह बनाया हुआ है। इसमें कोई भी अज्ञात व्यक्ति अपनी पहचान छिपाते हुए शिशु को वहां छोड़ सकता है। उससे किसी तरह की पूछताछ नहीं की जाती। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य यह है कि लोगबाग अपनी पहचान व कृत्य छिपाने के लिए नवजात शिशु को सड़क पर छोड़ देते हैं। उनमें से अधिकांश काल का ग्रास बन जाते हैं। वे जिंदा रहे, इसीलिए पालना गृहों की स्थापना प्रत्येक जिले के जिला अस्पताल में की गई है। हालांकि पालना गृहों की स्थापना हुए दो साल से ज्यादा समय बीत चुका है। मगर अब तक जिला अस्पताल के पालना गृह में केवल एक शिशु को ही छोड़ा गया है।
Published on:
28 Sept 2017 09:45 pm
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