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आपदा को अवसर में बदलने पर दिया ध्यान, देश में टॉप हनुमानगढ़-राजस्थान

locationहनुमानगढ़Published: Oct 17, 2020 10:46:23 am

Submitted by:

adrish khan

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अदरीस खान @ हनुमानगढ़. कोरोना संक्रमण संकट में पाठशालाएं बंद होने के बावजूद राजस्थान ने आपदा को अवसर में बदला है। शिक्षा विभाग के इंस्पायर अवार्ड मानक योजना में रिकॉर्ड तोड़ पंजीयन से राजस्थान ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। बीत बरस की तुलना में इस बार राज्य से छह गुणा अधिक पंजीयन हुआ है।

आपदा को अवसर में बदलने पर दिया ध्यान, देश में टॉप हनुमानगढ़-राजस्थान

आपदा को अवसर में बदलने पर दिया ध्यान, देश में टॉप हनुमानगढ़-राजस्थान

आपदा को अवसर में बदलने पर दिया ध्यान, देश में टॉप हनुमानगढ़-राजस्थान
– इंस्पायर अवार्ड पंजीयन में देश के टॉप टेन जिलों में आठ राजस्थान के
– राज्य से पंजीयन छह गुणा बढ़ा, पहली बार एक लाख का आंकड़ा पार
– जयपुर पहले तो हनुमानगढ़ सातवें स्थान पर
अदरीस खान @ हनुमानगढ़. कोरोना संक्रमण संकट में पाठशालाएं बंद होने के बावजूद राजस्थान ने आपदा को अवसर में बदला है। शिक्षा विभाग के इंस्पायर अवार्ड मानक योजना में रिकॉर्ड तोड़ पंजीयन से राजस्थान ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। बीत बरस की तुलना में इस बार राज्य से छह गुणा अधिक पंजीयन हुआ है। देश के टॉप टेन जिलों में प्रदेश के आठ जिले शामिल हैं। जयपुर पहले तो हनुमानगढ़ जिला सातवें स्थान पर है। अधिक पंजीयन का लाभ यह है कि कुल संख्या के दस फीसदी का चयन राज्य स्तरीय प्रदर्शनी के लिए किया जाता है। ऑनलाइन पंजीयन की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर को रात 12 बजे तक थी।
खास बात यह कि राजस्थान से इंस्पायर अवार्ड के लिए डेढ़ लाख के करीब पंजीयन हुए हैं। जबकि गत वर्ष 25 हजार विद्यार्थियों ने ही पंजीयन कराया था। इसके अलावा किसी भी प्रदेश ने एक लाख पंजीयन का आंकड़ा भी नहीं छूआ है। दूसरे स्थान पर बिहार राज्य है, जहां से करीब 75 हजार पंजीयन ही कराए गए हैं। तीसरे स्थान पर काबिज छत्तीसगढ़ से महज 58 हजार पंजीयन ही हो सके हैं। इसका मतलब है कि इस साल राजस्थान के सभी जिलों में पंजीयन को लेकर जोरदार काम हुआ है। निरंतर निगरानी, निदेशालय से लेकर सीडीईओ-डीईओ कार्यालय के अधिकारियों के निरंतर समीक्षा करने, स्वयंसेवी शिक्षण संस्थाओं के सहयोग तथा जिला प्रशासन की रूचि के चलते प्रदेश ने यह उपलब्धि हासिल की है। इस बार जिला प्रशासन तथा स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ ने भी पंजीयन बढ़ाने को लेकर पत्र जारी किए थे। यह प्रयास पहली बार किया गया।
इसलिए बदली स्थिति
बाल वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए संचालित इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के तहत अगस्त से पोर्टल पर नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई। मगर कोरोना के कारण पाठशालाओं में कक्षा संचालन बंद होने से नामांकन में शुरुआत में बहुत समस्या आई। अगस्त के अंत तक जिले से 100 से कम तथा प्रदेश भर में एक हजार से भी कम नामांकन हो सके। कक्षाओं का संचालन बंद होने के कारण आवेदन वगैरह की प्रक्रिया के लिए होनहारों को स्वत: स्फूर्त ही पाठशाला पहुंच संस्था प्रधानों व शिक्षकों से संपर्क करना पड़ रहा था। सामान्य परिस्थिति में तो विद्यालयों में संस्था प्रधान व शिक्षक समय-समय पर विद्यार्थियों को इंस्पायर अवार्ड की जानकारी देकर प्रोत्साहित करते रहते थे। पोर्टल पर नामांकन की जिम्मेदारी संस्था प्रधानों की है। विद्यार्थी अपने स्तर पर पुरस्कार के लिए नामांकन नहीं करवा सकते। विद्यालय की आईडी से ही पंजीयन होता है। ऐसे में कम पंजीयन हुआ तो शिक्षा विभाग ने इस संकट को आपदा में बदलते हुए कमर कसी।
समय का सदुपयोग
सरकारी से लेकर निजी विद्यालयों में कक्षाओं का संचालन बंद होने से उनके पास समय की कमी नहीं थी। ऐसे में जब शिक्षा विभाग ने पंजीयन संख्या बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया तो उसका अच्छा परिणाम मिला। इसके अलावा प्रत्येक ब्लॉक पर दस-दस दक्ष प्रशिक्षक तैनात किए गए जो संस्था प्रधानों व शिक्षकों को डाटा अपलोड के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों, रजिस्ट्रेेशन आदि की जानकारी देकर अधिकाधिक नामांकन के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। जहां पर्याप्त सहयोग नहीं मिला, वहां माध्यमिक शिक्षा निदेशालय तथा सीडीईओ व डीईओ कार्यालय के अधिकारियों ने कार्यवाही की चेतावनी दी।
प्रोत्साहन और पेटेंट भी
विद्यार्थियों को समाज, पर्यावरण आदि के विकास से संबंधित आविष्कार करने को प्रोत्साहित करने के लिए इंस्पायर अवार्ड योजना संचालित है। विद्यार्थी का आइडिया बेजोड़ होने पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उसे पेटेंट भी कराता है। जिला स्तरीय प्रदर्शनी में शामिल विद्यार्थियों में से दस प्रतिशत का चयन राज्य स्तरीय प्रदर्शनी के लिए होता है। इस प्रदर्शनी से भी दस फीसदी का चयन राष्ट्रीय प्रदर्शनी के लिए किया जाता है। चयनित विद्यार्थी को प्रोजेक्ट में सुधार आदि पर खर्च के लिए 50 हजार रुपए मिलते हैं। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में कक्षा 6 से 10 तक अध्ययनरत 10 से 15 आयु वर्ग के 2 से 5 विद्यार्थी अपने शिक्षकों के माध्यम से मौलिक विचारों को वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं। नामांकन के साथ विद्यार्थी के आइडिया से संबंधित प्रोजेक्ट के बारे में एक से तीन पेजों में विवरण देना होता है। यह पुरस्कार खास तौर से विज्ञान व गणित के ज्ञान पर आधारित है।
फैक्ट फाइल : देश में पंजीयन
प्रथम राजस्थान : डेढ़ लाख से अधिक
गत वर्ष राजस्थान से पंजीयन : सिर्फ 25444
द्वितीय बिहार : 75 हजार
तृतीय छत्तीसगढ़ : 58 हजार
प्रदेश में सबसे आगे
प्रथम जयपुर : 21043 पंजीयन
द्वितीय अलवर : 11156 पंजीयन
तृतीय झुंझुनूं : 11080 पंजीयन
चौथा भरतपुर : 7573 पंजीयन
पांचवां चित्तौडगढ़़ : 7329 पंजीयन
छठा चूरू : 7203 पंजीयन
सातवां हनुमानगढ़ : 6926 पंजीयन
आपदा को बदला अवसर में
विद्यालयों में कक्षाएं बंद होने से नामांकन को लेकर कई चुनौतियां थी। मगर आपदा को अवसर में बदलते हुए जिले से लेकर प्रदेश भर में रिकॉर्ड तोड़ पंजीयन कराया गया है। दक्ष प्रशिक्षक नियुक्त किए गए। एसीबीईओ द्वितीय को सतत निगरानी की जिम्मेदारी दी। हनुमानगढ़ के अलावा जोधपुर व बीकानेर संभाग की निगरानी भी की। बाड़मेर से भी चार से अधिक नामांकन हुआ है। जबकि वहां पहले कभी हजार का आंकड़ा भी नहीं पहुंचा था। निजी शिक्षण संस्था संघ व जिला प्रशासन के सहयोग से यह उपलब्धि हासिल की गई है। – रणवीर शर्मा, एडीईओ माध्यमिक, हनुमानगढ़।
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