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ग्रामीण ग्राहक को पता ही नहीं, बैंक ने बना दी उसके नाम से कंपनी, उठा लिया कर्ज

locationहनुमानगढ़Published: Nov 25, 2020 10:06:45 am

Submitted by:

adrish khan

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हनुमानगढ़. ग्राहक को पता ही नहीं और उसके नाम से कंपनी बना दी गई। वह भी करीब 29 लाख रुपए की बिक्री करने वाली। बैलेंस शीट वगैरह बनाकर कर्ज भी उठा लिया गया। जब बैंक ग्राहक को इस कथित फर्जीवाड़े का पता चला तो उसके पांव तले से जमीन खिसक गई।

ग्रामीण ग्राहक को पता ही नहीं, बैंक ने बना दी उसके नाम से कंपनी, उठा लिया कर्ज

ग्रामीण ग्राहक को पता ही नहीं, बैंक ने बना दी उसके नाम से कंपनी, उठा लिया कर्ज

ग्रामीण ग्राहक को पता ही नहीं, बैंक ने बना दी उसके नाम से कंपनी, उठा लिया कर्ज
– बैंक अधिकारी पर फर्जी तरीके से खातों में लेन-देन कर आर्थिक चपत लगाने का आरोप
– मरूधरा ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक के खिलाफ मामला दर्ज
हनुमानगढ़. ग्राहक को पता ही नहीं और उसके नाम से कंपनी बना दी गई। वह भी करीब 29 लाख रुपए की बिक्री करने वाली। बैलेंस शीट वगैरह बनाकर कर्ज भी उठा लिया गया। जब बैंक ग्राहक को इस कथित फर्जीवाड़े का पता चला तो उसके पांव तले से जमीन खिसक गई। ऐसा ही एक प्रकरण हनुमानगढ़ में सामने आया है।
ग्राहकों की बिना सहमति व जानकारी के उनके नाम से कर्ज स्वीकृत कर खातों में कूटरचित तरीके से लेन-देन करने के आरोप में मरूधरा ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक के खिलाफ टाउन थाने में धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया गया है। पुलिस के अनुसार मरूधरा ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक अयूब खान ने रिपोर्ट दी कि बैंक की फतेहगढ़ खिलेरीबास स्थित शाखा में फर्जीवाड़े की शिकायत मिली थी। बैंक के ग्राहक चंद्रमोहन पुत्र लालूराम निवासी खिलेरीबास की शिकायत पर बैंक प्रबंधन ने आंतरिक जांच कराई। इसमें तत्कालीन बैंक शाखा प्रबंधक सतीश शर्मा के अन्य लोगों के साथ मिलकर धोखाधड़ी करना सामने आया। अत: अब बैंक प्रबंधन ने उनके खिलाफ टाउन थाने में मामला दर्ज कराया है। आरोप है कि अक्टूबर 2017 में फतेहगढ़ खिलेरीबास बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने विमला देवी पत्नी चंद्रमोहन की कंपनी के नाम से दो लाख रुपए का कर्ज स्वीकृत किया। जबकि विमला देवी की कोई कंपनी ही नहीं है। कर्ज स्वीकृति, खाते में जमा होने व निकालने के संबंध में उनको कोई जानकारी नहीं थी। विमला देवी ने कभी कोई तुलना पत्र तैयार नहीं कराया था। उद्योग कार्ड नहीं बनाया। जबकि उनकी कंपनी की 29 लाख रुपए से अधिक की बिक्री दिखाई गई। अक्टूबर 2017 में ही दो लाख रुपए के कर्ज का मामला चुकता करने के बाद शाखा प्रबंधक ने उनके नाम से बिना सहमति एक लाख 98 हजार रुपए का साख सुविधा कर्ज लिया। आरोप है कि इसके अलावा भी कई अन्य लोगों के खातों व दस्तावेजों में इस तरह हेरफेर कर आर्थिक चपत लगाई गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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