scriptशहीदों की याद में 35 बरस से फेरी लगा रहे दीवाने, गूंज रहा नेताजी का नारा ‘दिल्ली चलो’ | Slogans of Delhi Chalo echoed in the streets of Hanumangarh in the mor | Patrika News

शहीदों की याद में 35 बरस से फेरी लगा रहे दीवाने, गूंज रहा नेताजी का नारा ‘दिल्ली चलो’

locationहनुमानगढ़Published: Jan 24, 2021 09:15:09 am

Submitted by:

adrish khan

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अदरीस खान @ हनुमानगढ़. हल्के कोहरे की चादर ओढ़े जब शहर में सुबह निकलती है तो नेताजी के नारों से गलियां गूंजने लगती है। जय हिन्द, नेताजी अमर रहे जैसे जयघोष के साथ 23 जनवरी की सुबह का अंधेरा छंटता है।

शहीदों की याद में 35 बरस से फेरी लगा रहे दीवाने, गूंज रहा नेताजी का नारा 'दिल्ली चलो'

शहीदों की याद में 35 बरस से फेरी लगा रहे दीवाने, गूंज रहा नेताजी का नारा ‘दिल्ली चलो’

शहीदों की याद में 35 बरस से फेरी लगा रहे दीवाने, गूंज रहा नेताजी का नारा ‘दिल्ली चलो’
– 23 की सुबह को 35 बरस से कर रहे बोस की याद से गुलजार
– सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर हनुमानगढ़ में प्रभात फेरी निकालने से लेकर प्रतिमा स्थापित करने व स्मारक निर्माण तक सफर
अदरीस खान @ हनुमानगढ़. हल्के कोहरे की चादर ओढ़े जब शहर में सुबह निकलती है तो नेताजी के नारों से गलियां गूंजने लगती है। जय हिन्द, नेताजी अमर रहे जैसे जयघोष के साथ 23 जनवरी की सुबह का अंधेरा छंटता है। भटनेर नगरी के मुख्य स्थलों पर जहां आजादी के नायकों की यादों के निशान हैं, वहां फूल चढ़ाते हुए परवानों का कारवां गुजरता है। 23 जनवरी का सूरज निकलने के दौरान पिछले 35 बरस से लगातार शहर में यही नजारा पेश आता है।
नागरिक सुरक्षा मंच के नेतृत्व में देशभक्तों के महानायक सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर प्रभात फेरी निकाली जाती है। साढ़े तीन दशक से जय हिन्द फौज के सेनापति सुभाषचंद्र बोस के जंगे आजादी में दिए गए योगदान को याद कर देशप्रेम की रोशनी के फैलाव का संकल्प किया जाता है। साथ ही अन्याय, भ्रष्टाचार से लड़ते हुए जाति-धर्म की भावन से ऊपर उठकर देश को सुदृढ़ करने में अपनी भागीदारी निभाने का खुद से वादा किया जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरलाल सोनी व सेवानिवृत्त कर्नल राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में नेताजी के दीवाने प्रभात फेरी निकाल रहे हैं। हर साल इसमें शामिल होने वालों की संख्या में घटत-बढ़त चलती रहती है। मगर कुछ लोग निरंतर इससे जुड़े हुए हैं। प्रभात फेरी निकालने की शुरुआत का किस्सा भी बड़ा अहम है। सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर निकलने वाली इस प्रभात फेरी में कभी उनके साथी भी शामिल होते थे। शनिवार को निकाली गई प्रभात फेरी जंक्शन के भगतसिंह चौक से शुरू हुई। टाउन के सुभाष चौक होते हुए भद्रकाली मार्ग स्थित शहीद स्मारक पर सम्पन्न हुई। इसमें कैप्टन बलवंत सिंह, आशीष गौतम, देवेन्द्र शर्मा, राकेश गोदारा, ओपी सुथार, सुशील भाकर, जाकिर हुसैन टाक, गरिमा शर्मा आदि शामिल हुए।
कैसे हुई शुरुआत
शहर में सुभाषचंद्र बोस जयंती पर प्रभात फेरी निकलते हुए करीब पैंतीस बरस हो चुके हैं। प्रारंभ के कई बरसों तक आजाद हिन्द फौज के सैनिक रहे भादरा तहसील के गांव भिरानी निवासी कमरूद्दीन भी प्रभात फेरी में शामिल होते थे। एडवोकेट शंकरलाल सोनी बताते हैं कि कमरूद्दीन 22 जनवरी की शाम को ही भादरा से हनुमानगढ़ आ जाते थे। फिर 23 जनवरी को प्रभात फेरी में शामिल होकर वापस घर लौट जाते थे। जब तक वे दुनिया में रहे उनका यह सिलसिला बदस्तूर चलता रहा। मंच सदस्यों को कमरूद्दीन ने ही आजाद हिन्द फौज का तराना विशेष रूप से याद कराया था। सुभाषचंद्र बोस की 101वीं जयंती पर वर्ष 1998 में टाउन में सुभाष चौक पर बोस की प्रतिमा स्थापित की गई। इस दौरान जिले में निवास करने वाले आजाद हिन्द फौज के सैनिकों को बुलाया गया था। नागरिक सुरक्षा मंच ने कमरूद्दीन के आग्रह पर उनके गांव में भी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की।
चलो दिल्ली की प्रासंगिकता
सुभाषचंद्र बोस के नारे चलो दिल्ली की प्रासंगिकता इस साल बढ़ गई। किसान आंदोलन के तहत 26 को दिल्ली में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली में शामिल होने के लिए लोगबाग दिल्ली कूच कर रहे हैं। ऐसे में नेताजी का चलो दिल्ली वाला आह्वान स्वत: ही किसान आंदोलन से जुड़ गया। यही वजह थी कि इस बार प्रभात फेरी में किसान आंदोलन से जुड़े नागरिकों की भी अच्छी भागीदारी रही।
शहादत को सलाम का सिलसिला
नागरिक सुरक्षा मंच के नेतृत्व में शहीदों को याद करने और उनकी शहादत को सलाम पेश करने का सिलसिला निरंतर चलता रहता है। शहीदे आजम भगत सिंह के शहीद दिवस पर मंच सदस्य हर साल हुसैनीवाला जाकर शहीदों को याद करते हैं। उनके सपनों के मुताबिक देश में व्यवस्था लागू करने का संकल्प करते हैं। इसके अलावा मंच के वरिष्ठ सदस्य एडवोकेट शंकरलाल सोनी हनुमानगढ़ टाउन में भद्रकाली रोड पर शहीद स्मारक बना रहे हैं। वहां मां भारती को आजाद कराने के लिए जान कुर्बान करने वाले शहीदों की प्रतिमाएं बनाई गई हैं। ऑडियो विजुअल लाइब्रेरी का निर्माण भी प्रस्तावित है। इसके जरिए नई पीढ़ी को गुमनाम शहीदों की वीर गाथा से रूबरू कराया जाएगा।
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